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रक्षा उद्योग को बढ़ावा

रक्षा आवंटन को वर्तमान में जारी सैन्य सुधारों और मोदी सरकार द्वारा रक्षा औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने की नीति की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है.

भारतीय रक्षा बलों के आधुनिकीकरण, संरचनागत विकास और सीमा पर चीन तथा पाकिस्तान की हरकतों के मद्देनजर आगामी वित्त वर्ष के लिए रक्षा आवंटन में बढ़ोतरी की गयी है. रक्षा मंत्रालय के लिए आवंटित 5.25 लाख करोड़ कुल बजट का 13.31 प्रतिशत है. साथ ही घरेलू स्तर पर हथियारों की खरीद को बढ़ावा देने हेतु 68 प्रतिशत और शोध एवं विकास कार्यों हेतु निजी क्षेत्रों, नवउद्यमों तथा अकादमिक क्षेत्र के लिए 25 प्रतिशत पूंजी परिव्यय का उल्लेखनीय प्रावधान है.

रक्षा बजट पिछले वित्त वर्ष के बजटीय अनुमान से 9.8 प्रतिशत और संशोधित अनुमान से 4.4 प्रतिशत अधिक है. विशेषज्ञों के मुताबिक, मौजूदा जरूरतों तथा चुनौतियां को देखते हुए रक्षा खर्च जीडीपी का तीन प्रतिशत होना चाहिए, जबकि यह 2022-23 की अनुमानित जीडीपी का मात्र दो प्रतिशत ही है. एसपीवी (विशेष उद्देश्य वाहन) मॉडल के तहत डीआरडीओ एवं अन्य संस्थानों के सहयोग से मिलिट्री प्लेटफाॅर्मों और उपकरणों की डिजाइन एवं विकास के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया जायेगा.

जांच एवं प्रमाणीकरण के लिए स्वतंत्र एवं एकीकृत निकाय के गठन की बात कही गयी है. निश्चित ही, घरेलू रक्षा उद्योगों से खरीद को बढ़ावा देने से निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही क्षमता विकास भी होगा. हिंद महासागर में उभरते खतरों और समुद्री सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए नौसेना के बजट में 44.53 प्रतिशत की वृद्धि सराहनीय है. वायुसेना के आवंटन में जहां 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं थल सेना का आवंटन इस बार 12.2 प्रतिशत कम रहा है.

उम्मीदों के अनुरूप सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का आवंटन 40 प्रतिशत बढ़ा है. यह सेला और नाइचिफू जैसी महत्वपूर्ण सुरंगों, नदियों पर पुलों के निर्माण तथा सीमाई इलाकों में संरचनागत विकास के लिए आवश्यक है. रक्षा आवंटन को वर्तमान में जारी सैन्य सुधारों और मोदी सरकार द्वारा रक्षा औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने की नीति की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है.

बीते अक्तूबर में सरकार ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का सात नये सार्वजनिक रक्षा उद्यमों के रूप में पुनर्गठन कर दिया था. सरकार ने हथियार, गोला-बारूद, बख्तरबंद वाहनों और सैन्य कपड़ों के उत्पादन में दक्षता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है. इससे रक्षा निर्यात में भी वृद्धि दिखेगी. हाल में फिलिपींस को ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल सिस्टम बेचने के लिए हुआ 375 मिलियन डॉलर का समझौता भारतीय रक्षा उद्योग के लिए बड़ी शुरुआत है.

इस संदर्भ में रक्षा बजट का महत्व और बढ़ जाता है. रक्षा क्षेत्र में शोध एवं विकास कार्यों के लिए निजी क्षेत्रों की भागीदारी से आत्मनिर्भरता के साथ-साथ निर्यात को भी गति मिलेगी. चीन और पाकिस्तान की नापाक हरकतों, समुद्री सुरक्षा, अफगानिस्तान अस्थिरता को देखते हुए भारत का सुरक्षा वातावरण निश्चित ही चुनौतीपूर्ण एवं जटिल है. इस लिहाज से रक्षा में आत्मनिर्भरता-प्रेरित यह बजट आशाजनक मार्ग प्रशस्त करेगा.

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