हर बजट का एक संदेश होता है. कोरोना संकट ने देश दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को पटरी से उतार दिया, लेकिन इस संकट के दौरान डिजिटल व्यवस्था खासी तेजी से बढ़ी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट डिजिटल इंडिया को बढ़ाने की कोशिश नजर आता है. वित्त मंत्री ने खुद भी पेपरलेस बजट पेश किया. साथ ही बजट में ऐसे अनेक प्रावधान हैं, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाले हैं.
हालांकि नौकरीपेशा, किसान और उद्योग जगत बड़ी घोषणाओं की उम्मीद लगाये बैठे थे, लेकिन उनके हाथ कुछ ठोस नहीं लगा है. बजट में डिजिटल करेंसी का बड़ा एलान शामिल है. वित्त मंत्री ने घोषणा की कि रिजर्व बैंक जल्द ही डिजिटल करेंसी जारी करेगा. इसे सरकारी सेवाओं में डिजिटल लेनदेन के तहत इस्तेमाल किया जा सकेगा. साथ ही उन्होंने 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां भी स्थापित करने की घोषणा की.
वित्त मंत्री ने एलान किया कि 1.5 लाख पोस्ट ऑफिसों को उन्नत कर उन्हें कोर बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा जायेगा. इससे गांव-देहात में भी लेन-देन तेज हो सकेगा. कोरोना काल में स्कूली पढ़ाई को हुए नुकसान को देखते हुए सरकार ने डिजिटल यूनिवर्सिटी बनाने का एलान किया है, जो ऑनलाइन शिक्षा में मदद करेगी. उन्होंने पीएम ई-विद्या के टीवी चैनल 12 से बढ़ा कर 200 करने का एलान किया.
इससे क्षेत्रीय भाषाओं में स्कूली शिक्षा में मदद मिलेगी. इन कदमों से पता चलता है कि सरकार कोरोना काल में शिक्षा को हुए नुकसान के प्रति गंभीर है. वित्त मंत्री ने घोषणा की कि स्वास्थ्य क्षेत्र में भी डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाया जायेगा और डिजि हेल्थ प्लेटफॉर्म तैयार किया जायेगा, जिससे दूरदराज के इलाकों के मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायी जा सकें.
नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम लॉन्च किया जायेगा. इसके तहत कोरोना काल में मानसिक परेशानियां झेल रहे लोगों को ऑनलाइन मदद प्रदान की जायेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल पासपोर्ट को बढ़ावा देने की भी घोषणा की. कहने का आशय यह है कि इस बजट में डिजिटल व्यवस्था का बोलबाला है और यह नये भारत के उदय का संकेत भी है.