UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए आयोग कई कदम उठा रहा है. कोरोना संकट में हो रहे इस बार के चुनाव में कई पहल किए गए हैं. प्रत्याशी डोर-टू-डोर जा रहे हैं. डिजिटल चुनाव प्रचार हो रहा है. वर्चुअल रैलियों के जरिए नेताजी मन की बात जनता तक पहुंचा रहे हैं. अब सवाल यह है कि क्या वोटर्स वोट डालने जाएंगे? वैसे लोकतंत्र के महापर्व में वोटर सर्वेसर्वा है. इसके बावजूद उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर मतदान संतोषजनक नहीं है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भी आयोग ने मतदाता जागरूकता अभियान चलाया है. वहीं, गुजरे कल में चलें तो सूबे की कई सीटों पर वोटर्स ने मतदान करना मुनासिब नहीं समझा. कहीं तो महज कुछ वोटर्स ही सरकार चुनने के लिए पहुंचे. प्रयागराज की इलाहाबाद उत्तरी सीट सबसे ज्यादा शिक्षित लोगों वाली विधानसभा सीट मानी जाती है. यहां पर कई नामी-गिरामी संस्थान हैं. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भी यहीं हैं. लेकिन, पिछले पांच चुनावों में इलाहाबाद उत्तरी सीट के वोटर्स फिसड्डी साबित हुए.
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1996- 32.8 प्रतिशत वोटिंग
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2002- 25.5 प्रतिशत वोटिंग
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2007- 24 प्रतिशत वोटिंग
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2012- 40.9 प्रतिशत वोटिंग
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2017- करीब 36.14 प्रतिशत वोटिंग
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है. यहां पर तो लोग सोशल मीडिया पर खासे एक्टिव हैं. राह चलते या चाय की दुकानों में खूब राजनीति बतियाते हैं. लेकिन, वोट डालने में इन्हें भी दिक्कत है. लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट पर भी मतदान का प्रतिशत संतोषजनक नहीं रहा है.
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1996- 36 प्रतिशत
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2002- 21 प्रतिशत
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2007- 29.65 प्रतिशत
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2012- 50.47 प्रतिशत
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2017- 51 प्रतिशत
अब बात करते हैं सुल्तानपुर जिले की. यहां की कादीपुर सीट पर 1991 में 6 फीसदी वोटर्स ही वोट डालने पहुंचे. कहने का मतलब है कि करीब 14 लाख मतदाताओं में 89 हजार ने मतदान किया. पिछले चुनाव (2017 में) में वोटिंग का आंकड़ा 41.49 प्रतिशत के पास पहुंचा था. अमेठी की जगदीशपुर सीट पर 1977 में सिर्फ 18.4% लोगों ने वोट किए. 2017 में 35 और 2017 में 53.35 प्रतिशत वोटर्स ने वोट डाले.
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प्रयागराज जिले की कोरांव सीट 2012 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इस सुरक्षित सीट पर 2012 के चुनाव में महिलाओं ने रिकॉर्ड मतदान किया था. महिलाओं ने 62.63 फीसदी मतदान करके जिले में रिकॉर्ड बनाया था. महिलाओं की तुलना में पुरुषों ने 61.62 फीसदी वोट डाले. 2017 की बात करें तो इस बार भी महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा वोट किए. लेकिन, उनका कुल वोट 60% के नीचे रहा था.