13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सर्वेक्षण के आकलनों से बढ़ीं आशाएं

आर्थिक सर्वेक्षण के आकलनों से जाहिर होता है कि जल्द ही हमारी अर्थव्यवस्था फिर से विश्व में सबसे तेज गति से विकास करनेवाली बन जायेगी.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया है. यह हमारी संसदीय कार्य प्रणाली की स्थापित परंपरा है कि आगामी वित्त वर्ष का बजट प्रस्ताव प्रस्तुत करने से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण को संसद के समक्ष रखा जाता है.

इस सर्वेक्षण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. यह बहुत संतोषजनक है, क्योंकि कोरोना महामारी के दौर में बीते दो वर्षों में हमारी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है और अब हम धीरे-धीरे इससे उबरने का प्रयास कर रहे हैं. इस अपेक्षित वृद्धि में कृषि क्षेत्र की विकास दर 3.9 प्रतिशत रहने की आशा जतायी गयी है. औद्योगिक क्षेत्र में यह दर 11.8 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में 8.2 प्रतिशत रह सकती है.

दूसरी अहम बात जो इस आर्थिक सर्वेक्षण से उभर कर सामने आयी है और जिसने हमें उत्साहित किया है, वह है कि आगामी वित्त वर्ष के लिए, जिसका बजट मंगलवार को प्रस्तुत होगा, वृद्धि दर आठ से साढ़े आठ प्रतिशत रहने की आशा व्यक्त की गयी है. इन आकलनों से जाहिर होता है कि जल्द ही हमारी अर्थव्यवस्था फिर से विश्व में सबसे तेज गति से विकास करनेवाली अर्थव्यवस्था बन जायेगी.

इस आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में कोरोना महामारी की भयावह दूसरी लहर के बावजूद हमारा बैंकिंग सेक्टर अच्छी स्थिति में है. व्यावसायिक बैंकों का जो स्ट्रेस एडवांस रेशियो है, वह 7.9 प्रतिशत से बढ़कर 8.5 प्रतिशत हो गया है. इस वजह से जो सार्वजनिक बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) हैं, उसमें कमी आयी है. सितंबर, 2021 में उनका अनुपात 8.6 प्रतिशत रह गया है, जबकि सितंबर, 2020 में यह अनुपात 9.4 प्रतिशत था.

हमारे बैंकिंग सेक्टर के मजबूत होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि बैंकों में पूंजी उपलब्धता का प्रबंधन बहुत बढ़िया है. इस वजह से भी वित्तमंत्री को आशा है कि एनपीए अनुपात में कमी आयेगी. हालांकि अभी भी देश कोरोना महामारी की तीसरी लहर से गुजर रहा है, लेकिन उपभोग का स्तर संतोषजनक बना हुआ है.

सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि इस बार उपभोग सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का सात प्रतिशत रहेगा. कुछ समय पहले त्योहारों के मौसम में लोगों ने अच्छी खरीदारी की है. उपभोग बढ़ने से इंगित होता है कि व्यापार व कारोबार में तेजी आयी है. वृद्धि दर के अब तक के आंकड़े भी इस ओर संकेत कर रहे हैं.

आर्थिक सर्वेक्षण में एक नयी बात देखने को मिली है कि पूंजीगत व्यय के अनुपात में लगभग 13.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इस बढ़त का मतलब यह है कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर व्यापक खर्च किया गया है. यह भी उल्लेखनीय है कि सरकार के राजस्व में 67 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भी उत्साहजनक स्थिति है. वर्तमान विदेशी मुद्रा कोष से हम अगले 14-15 महीनों का आयात बड़े आराम से कर सकते हैं.

सरकार का कहना है कि आज भारत पर जितना विदेशी कर्ज है, उसे देखते हुए भी इस भंडार की स्थिति संतोषजनक है. आर्थिक सर्वेक्षण की प्रमुख बातों में एक यह भी है कि अमेरिका और चीन के बाद स्टार्टअप उद्यमों के लिए सबसे अच्छा इकोसिस्टम अभी भारत में उपलब्ध है. वर्ष 2021 में देश में 14 हजार नये स्टार्टअप पंजीकृत हुए हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं.

इस वर्ष 10 जनवरी तक भारत में स्टार्ट अप की संख्या 61.4 हजार तक पहुंच चुकी है. इसका मतलब यह है कि हम तेजी से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं. अगर हम निवेश की बात करें, तो वह जीडीपी के 29.6 प्रतिशत तक जा पहुंचा है. यह बीते सात वर्षों में सबसे अधिक है.

पिछले साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के पंजीकरण के लिए ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत की थी. इस वर्ष 18 जनवरी तक 22 करोड़ श्रमिकों ने इस पहल का लाभ उठाते हुए स्वयं को पंजीकृत कराया है. इन पंजीकृत कामगारों को सरकार के द्वारा दो लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा मुहैया कराया जा रहा है. यदि भविष्य में महामारी जैसी स्थिति पैदा होती है, तो इन श्रमिकों को सीधे वित्तीय लाभ भी मुहैया कराया जायेगा.

इन श्रमिकों में 12 करोड़ खेती व संबंधित व्यवसायों से हैं. साथ ही, घरेलू कामगार भी लगभग ढाई करोड़ हैं. उल्लेखनीय है कि सर्वेक्षण के अनुमान में कृषि क्षेत्र की वृद्धि मामूली ही है, जो चिंता का विषय है.

यह क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है. सरकार को इसके कारणों की पड़ताल करनी चाहिए कि क्या अन्य कारकों के साथ कृषि में बढ़ती लागत तथा किसानों को अपनी उपज का उचित दाम नहीं मिलने का भी असर तो नहीं हो रहा है. महामारी की पहली लहर के दौरान लगे लॉकडाउन में गांव लौटे कामगारों में बहुत से लोग अब भी शहरों की ओर नहीं लौट सके हैं. इससे भी कृषि पर दबाव बढ़ने की आशंका है. संभव है कि सरकार बजट में वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराने के लिए पहल करेगी. साथ ही, इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनुफैक्चरिंग में उल्लेखनीय आवंटन हो सकते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें