Union Budget 2022: सरकार ने 2025 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है. कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयी है और अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण के जरिए ही इस बात का संकेत दे दिया है कि कोरोना प्रभावित अर्थव्यवस्था को चुनौतियों से उबारा जा सकता है.
देश को 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए इस दौरान बुनियादी ढांचे पर 1,400 अरब डॉलर खर्च करने की जरूरत होगी. हालांकि वित्त वर्ष 2008-17 के दौरान भारत में बुनियादी ढांचे पर करीब 1,100 अरब डॉलर खर्च किए गए हैं. बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने को लेकर चुनौतियां भी हैं. राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (एनआइपी) में वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक करीब 111 लाख करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है. एनआईपी की शुरुआत 6,835 परियोजनाओं के साथ की गई. इनकी संख्या बढ़ा कर 9,000 से भी अधिक कर दी गई है. वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 के दौरान ऊर्जा (24%), सड़क (19%), शहरी (16%) तथा रेलवे (13%) जैसे क्षेत्रों में अनुमानित पूंजीगत व्यय का 70% खर्च होने की संभावना है.
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के 3,400 एकड़ जमीन और अन्य गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण के प्रस्ताव राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (एनएलएमसी) के पास भेजे जा चुके हैं. एमटीएनएल, बीएसएनएल, बीपीसीएल, बीएंडआर, बीईएमएल, एचएमटी लिमिटेड और इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड जैसी सार्वजनिक इकाइयों ने भूमि मौद्रीकरण निगम के पास अपनी संपत्तियों के ब्योरे भेजे हैं.
कोविड-19 महामारी के उन्मूलन से निवेश चक्र को गति मिलेगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे. सरकार ने निम्न आय वर्ग को समर्थन देने के लिए कई कदम उठाये हैं. जाहिर है कि विश्वास बहाली में वक्त लगेगा, क्योंकि उपभोक्ता खर्च में मंदी की वजह सिर्फ आय में कमी नहीं है, बल्कि महामारी और स्वास्थ्य संबंधी अनिश्चितता के कारण भी ऐसा हो रहा है. वहीं, निर्माण क्षेत्र में सुधार होने लगा है जो सबसे अधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है.
विमानन कंपनी एयर इंडिया की बिक्री से देश में विनिवेश का रास्ता मजबूत होगा. यह पिछले 20 वर्षों के दौरान देश में निजीकरण का यह पहला समझौता है. इससे देश में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की विनिवेश प्रक्रिया में तेजी आयेगी. समीक्षा में सभी क्षेत्रों में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को फिर से परिभाषित करने का सुझाव भी दिया गया है.
रेल क्षेत्र में अगले 10 साल के दौरान भारी पूंजीगत खर्च देखने को मिलेगा. आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि रेलवे की क्षमता वृद्धि पर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे 2030 तक इसकी क्षमता मांग से अधिक रहे. इसके लिए क्षेत्र पर भारी पूंजीगत खर्च करने की जरूरत होगी. रेल क्षेत्र में पूंजीगत खर्च 2014 तक बमुश्किल 45,980 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष था. इस कारण यह क्षेत्र बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ था. इसे 2021-22 के दौरान 2,15,058 करोड़ तक बढ़ाया गया.
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अक्षय ऊर्जा पर जोर के बावजूद कोयले की मांग मजबूत बनी रहने का अनुमान है. 2030 तक देश में कोयले की मांग 1.3 से 1.5 अरब टन रहेगी. 2020-21 तक पीएसयू द्वारा 56,000 हेक्टेयर जमीन को हरित ‘कवर’ के तहत लाया गया है. इससे सालाना कॉर्बन उत्सर्जन में पांच लाख टन कमी आयी है. 2030 तक करीब 7.5 करोड़ पेड़ लगाकर कोयला खनन क्षेत्रों के 30,000 हेक्टेयर भूमि को हरित दायरे के तहत लाने का लक्ष्य है.
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