पटना. बिहार विधान परिषद चुनाव को लेकर बगावत पर उतरे वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी अलग-थलग हो गये हैं. हम पार्टी ने भी उनसे किनारा करते हुए एनडीए के फैसले को स्वीकार कर लिया है. सीट बंटवारे से पहले बड़े दावे कर रहे जीतन राम मांझी की पार्टी ने रविवार को भाजपा-जदयू के आगे सरेंडर कर दिया है.
मांझी की पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि उनकी पार्टी ने सीट बंटवारे में दो सीटों की मांग की थी. उनकी मांग को नकार दिया गया है. इससे हम पार्टी आहत है, लेकिन हम एनडीए के इस फैसले को स्वीकार करती है. एमएलसी चुनाव में दो सीटों के लिए हम पार्टी बिहार में एनडीए को नहीं तोड़ेगी. बिहार में वह एनडीए औऱ सरकार में बनी रहेगी.
मालूम हो कि बिहार में विधान परिषद की 24 सीटों पर होने जा रहे चुनाव को लेकर जदयू-भाजपा ने सीटों का बंटवारा कर लिया गया. इसके तहत भाजपा 12 और जदयू 11 सीटों पर अपना उम्मीदवार देंगे. एक सीट रालोजपा को दी गयी है. वहीं सीट बंटवारे का एलान करते समय बीजेपी और जेडीयू ने कहा कि वे मुकेश सहनी औऱ जीतन राम मांझी की पार्टी के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें समझा लेंगे.
विश्वास में ले लेंगे. दो घंटे बाद ही विश्वास टूट गया. मुकेश सहनी की पार्टी ने बिहार की सभी 24 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया. हालांकि मांझी की पार्टी ने रविवार को फैसले को स्वीकार कर लिया.
इधर, मुकेश सहनी की पार्टी ने एनडीए में सीट बंटवारे पर बीजेपी से सवाल पूछा कि सहयोगी पार्टी को फैसला लेने से पहले विश्वास में लिया जाता है या फिर फैसला लेकर विश्वास में लिया जाता है.
वीआईपी के प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा कि उनकी पार्टी किसी विश्वास में आने वाली नहीं है. वह बिहार में एमएलसी की सभी 24 सीटों पर मजबूती से अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी. वीआईपी पार्टी ने कहा कि बीजेपी को एमएलसी चुनाव में सीट बंटवारे से पहले निषाद आरक्षण पर जवाब देना चाहिये.