Shattila Ekadashi 2022: माघ के महीने (Magh Month) की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा के अलावा छह तरीके से तिल (Sesame) का प्रयोग करना अत्यंत शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को कन्यादान, हजारों सालों की तपस्या और स्वर्ण दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.
षटतिला एकादशी का व्रत 28 जनवरी 2022, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. जानें इस व्रत के नियम क्या हैं.
षटतिला एकादशी तिथि प्रारंभ : 28 जनवरी शुक्रवार को 02 बजकर 16 मिनट पर
षटतिला एकादशी समाप्त : 28 जनवरी की रात 23 बजकर 35 मिनट पर
व्रत पारण : शनिवार को सुबह 07 बजकर 11 मिनट से सुबह 09 बजकर 20 मिनट के बीच.
द्वादशी तिथि समापन : 29 जनवरी की रात 08 बजकर 37 मिनट पर.
षटतिला एकादशी के दिन तिल का छह तरीके से प्रयोग किया जाता है.
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तिल मिश्रित जल से स्नान करें.
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तिल का उबटन लगाएं.
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भगवान को तिल अर्पित करें.
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तिल मिश्रित जल का सेवन करें.
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फलाहार के समय मिष्ठान के रूप में तिल ग्रहण करें.
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व्रत वाले दिन तिल से हवन करें या तिल का दान करें.
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षटतिला एकादशी के दिन वैसे लोग जो व्रत नहीं रह रहे हैं, वे भी तिल का छह तरीकों से प्रयोग कर इस दिन पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.
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एकादशी व्रत के नियम दशमी की रात से ही शुरू हो जाते हैं, जिनका पालन द्वादशी के दिन व्रत पारण के समय तक करना जरूरी माना गया है.
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दशमी की शाम को सूर्यास्त से पहले बिना प्याज लहसुन का साधारण भोजन करना चाहिए.
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रात में भगवान का मनन करते हुए सोएं. अगर जमीन पर बिस्तर लगाकर सो सकें तो बहुत ही उत्तम होता है.
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सुबह उठने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान के समक्ष एकादशी व्रत का संकल्प लें.
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विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें. पूजा के दौरान षटतिला एकादशी व्रत कथा भी पढ़ें.
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यदि संभव हो तो दिनभर निराहार रहें और शाम के समय फलाहार करें.
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इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और किसी के बारे में गलत विचार मन में न लाएं, न ही किसी की चुगली करें. हर वक्त प्रभु के नाम का जाप करें.
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दूसरे दिन द्वादशी पर स्नान आदि के बाद भगवान का पूजन करें और किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें. इसके बाद अपने व्रत का पारण करें.