पटना. जिस जिले में लर्निंग लाइसेंस बनाया गया है, अब वहीं से स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस भी बनेगा. बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के बीच परिवहन विभाग ने लाइसेंस बनाने के नियमों में बदलाव कर दूसरे जिले में स्थायी लाइसेंस बनाने का विकल्प खत्म कर दिया है. इस संबंध में परिवहन विभाग ने सभी जिलों के जिला परिवहन अधिकारी को पत्र लिखकर सॉफ्टवेयर में आवश्यक बदलाव करने का निर्देश दिया है.
परिवहन विभाग की वेबसाइट पर अब तक आवेदक के लिए लर्निंग लाइसेंस के बाद कहीं से भी स्थायी लाइसेंस बनाने का विकल्प था. इसके कारण जिन जिलों में ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट अनिवार्य है, वहां से लर्निंग लाइसेंस बनाने वाले दूसरे जिलों में जाकर बिना टेस्ट दिये स्थायी लाइसेंस बना लेते थे. ऐसे वाहन चालकों को ठीक से गाड़ी चलाना नहीं आता था, जिससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती थी.
सूत्रों की मानें तो नियम में इस परिवर्तन से दूसरे जिले में आवेदन करने वाले हजारों आवेदकों के लाइसेंस फंस सकते हैं. पटना जिले में तीन जनवरी से लेकर 15 जनवरी तक ऑनलाइन आवेदन का ऑप्शन सहित ऑनलाइन टेस्ट का भी स्लॉट बुक नहीं हो रहा था. इसके कारण हजारों आवेदक, जिनका लर्निंग लाइसेंस फेल हो रहा था, उन्होंने दूसरे जिलों में जाकर स्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया है. स्थायी लाइसेंस के लिए 23 सौ रुपये का चालान कटाना पड़ता है. स्लॉट बुक कराने का अलग से 50 रुपये देने पड़ते हैं.
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सभी जिलों के डीटीओ और एमवीआइ को लिखे पत्र में बिना निबंधन के ड्राइविंग स्कूल पर शिकंजा कसने की भी बात कही गयी है, क्योंकि राजधानी में दर्जनों ऐसे ड्राइविंग स्कूल खुल गये हैं, जिनके पास किसी तरह का निबंधन नहीं है. सड़क दुर्घटनाओं की समीक्षा पर अन्य पहलुओं के अतिरिक्त यह तथ्य प्रकाश में आया है कि दुर्घटनाओं का मुख्य कारण वाहन चालकों का पूर्ण प्रशिक्षित नहीं होना है. इसको देखते हुए सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में मोटरवाहन प्रशिक्षण संस्थान और खोले जाने की दिशा में काम किया जाये, साथ ही संस्थान को मानक रूप से प्रारंभ किया जाये. स्कूल और संस्थान खोलने का काम उच्च प्राथमिकता के साथ करने का निर्देश दिया गया है.