पटना. सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे. उनका बिहार और विशेषकर पर राजधानी पटना से गहरा लगाव रहा. उन्होंने आजादी के पूर्व पटना के बांकीपुर, दानापुर, खगौल के कच्ची तालाब व पटना सिटी आदि जगहों पर जनसभाएं की. कुछ साल पहले ही प्रभात खबर से बातचीत के दौरान वरिष्ठ साहित्यकार व लेखक स्व सत्यदेव नारायण सिन्हा ने उनके बारे में बताया था, कि पटना सिटी के सिमली मुरारपुर निवासी बिफन महतो ने 26 अगस्त 1939 को बोस को आमंत्रित कर उनका अभूतपूर्व स्वागत कराया था. आज से 81 साल पहले जब इस क्षेत्र में न इतनी अधिक आबादी थी और न सुविधाएं, तब बीस हजार लोगों की स्वतः स्फूर्त भीड़ का उमड़ पड़ना एक आश्चर्यजनक घटना तो थी ही. वह सुभाष बाबू की लोकप्रियता का प्रतीक और बिफन राम के कार्य कौशल का परिणाम था.
महिलाओं ने जहां सुभाष बाबू की आरती उतारी वहीं युवकों ने पुष्प वर्षा और जय जयकार लगाया था और वृद्धों ने उनके ललाट पर चंदन -रोली का टीका लगाकर आशीर्वाद दिया. उस दिन सुभाष बाबू ने पटना की धरती पर पहली बार कदम रखा था. फूल-मालाओं से लदे सुभाष बाबू ने सड़क के किनारे सिमली देवी स्थान के चबूतरे पर खड़ा होकर लगभग 15 मिनट तक जनता को हिंदी में संबोधित किया था. देवी स्थान पर आज दुकान खुली है. सुभाष बाबू पटना आगमन से चार दिन पूर्व सिमली से एक विशाल और शानदार जुलूस निकाला गया था, जिसमें सुभाष रथ पर उनका एक आदमकद तैल चित्र लगा था. इस रथ में जुते थे- 106 जोड़ी बैल. रथ के सारथी थे, बिफन राम. जुलूस के आगे-आगे कई तरह के बैंड-बाजे बज रहे थे. बैलों की जोड़ी के अगल – बगल लाल वर्दीधारी स्वयंसेवक हाथों में तिरंगा झंडा लिये चल रहे थे.
बिहार राज्य अभिलेखागार के पूर्व निदेशक डॉ महेंद्र पाल ने ऐतिहासिक साक्ष्य के आधार पर बताया कि सुभाष बोस की सभा 29 अगस्त 1939 को पटना के बांकीपुर मैदान अब (गांधी मैदान) में आम सभा का आयोजन किया गया था. शाम पांच बजे से लेकर शाम 6:40 बजे तक चलने वाले आमसभा में 20 हजार से अधिक लोगों की भीड़ थी. भीड़ में 150 से अधिक बंगाली महिलाएं भी मौजूद थीं. पाल ने बताया कि जय प्रकाश नारायण नेताजी के स्वागत के लिए सभा आरंभ होने के पहले से मौजूद थे. साथ में साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी भी स्वागत के लिए मौजूद थे. सभा में काफी उत्साह था और नेताजी ने एक ओजस्वी भाषण दिया. नेताजी ने कहा कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि बांकीपुर में इतनी बड़ी सभा होगी.
बिहार कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के उपनिदेशक और इतिहास के जानकार अरविंद महाजन ने बताया कि 27 अगस्त 1939 को नेताजी की सभा खगौल के कच्ची तालाब के पास मैदान में हुई. सुभाष चंद्र बोस को स्टेशन से लाने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी थी. सभा में सुभाष चंद्र बोस ने किसानों मजदूरों की दयनीय अवस्था तथा देश की गिरती अर्थव्यवस्था के विषय में चर्चा की और लोगों से एकजुट होने के साथ अपने अधिकारों के लिए लड़ने की बात पर बल दिया था. वहीं 1940 में नेता जी पटना आए थे. कांग्रेस की सभा में पटना सिटी के मंगल तालाब पर सभा को संबोधित किया था.
कांग्रेस पार्टी के वरीय सदस्य राकेश कपूर ने बताया कि बांकीपुर मैदान (अब गांधी मैदान) में सभा का आयोजन था. सभा की अध्यक्षता स्वामी सहजानन्द सरस्वती ने किया था. भाषण के दौरान सुभाष चंद्र बोस ने नयी संस्था फारवर्ड ब्लॉक के निर्माण के कारण और उसके कार्यक्रम पर प्रकाश डाला. वे रात में बांकीपुर में ही ठहरे थे. इस दौरान उन्होंने लोगों का एकजुट होने के साथ अपने अधिकारों के लिए लड़ने की बात पर जोर दिया था. बोस ने लोगों को स्वराज का असली अर्थ भी बताया था. बोस की स्मृति को जिंदा रखने के लिए गांधी मैदान स्थित आइएमए हॉल के पास उनकी प्रतिमा आज भी मौजूद है, जिसका अनावरण 21 अक्तूबर 1992 को किया गया था.