नेताजी सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि भगवत गीता उनके लिए प्रेरणा स्रोत थी. वह जब भी उदास या अकेले होते थे तो भगवत गीता का पाठ जरूर करते थे. वह स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व और उनकी बातों से भी खासे प्रभावित थे. वे विवेकानंद के सार्वभौमिक भाईचारे, उनके राष्ट्रवादी विचारों और समाज सेवा पर जोर देने की शिक्षाओं पर भी विश्वास करते थे.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में रहस्यमयी ढंग से मौत हो गई थी. नेताजी की मौत आज भी लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है. कई तरह की बातों के बीच उन्हें जीवित बताया गया था. ऐसी भी कहानियां सुनाईं जाती थीं कि विमान हादसे में जिंदा बचने के बाद नेताजी साधु का रूप बदल कर यूपी में रह रहे थे.
जानकारी के अनुसार नेताजी ने जापानी शासित फॉर्मोसा जो अब ताइवान के नाम से जाना जाता है से जापान के लिए उड़ान भरी थी. लेकिन उनका विमान ताइवान की राजधानी ताइपे में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया. वह टोक्यो जा रहे थे. विमान में अचानक से तकनीकी खराबी आ जाने के कारण आग लग गई और जलते-जलते वह क्रैश हो गया. ऐसा बताया जाता है कि इस हादसे में नेताजी बुरी तरह से जल गए थे और उन्होंने पास के ही जापान के अस्पताल में दम तोड़ दिया. यह भी माना जाता है कि विमान हादसे में जो व्यक्ति बुरी तरह से जख्मी था और जिसने अस्तपाल में दम तोड़ा वह वाकई में सुभाषचंद्र बोस नहीं थे.
यह भी संभावना जताई गई के वह हादसे में बच गए हों. सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तमाम जांच समितियां गठित कीं, लेकिन आज तक उनकी मौत कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिल पाए हैं. हालांकि, उनकी मौत के बारे में कई विवाद और रहस्य हैं. उनके कई समर्थकों ने कहा कि उनकी मौत विमान दुर्घटना के कारण नहीं हुई है.