रांची : झारखंड में स्थित विवि, कॉलेज और संस्थान अगर तीन साल के भीतर नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल (नैक) से मान्यता नहीं लेते हैं, तो उनको बंद करने की कार्रवाई शुरू की जायेगी. केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकार ने इस बार कड़ा रुख अपनाया है.
पूर्व में नैक से मान्यता नहीं रहने पर राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) से अनुदान बंद कर दिया जाता था. अब अनुदान के साथ-साथ संस्थान को ही बंद कर दिया जायेगा. वहीं, जिन संस्थानों की नैक मान्यता अवधि पूरी हो रही है या पूरी हो गयी है, उन्हें मान्यता लेने का निर्देश दिया गया है. उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने इस बाबत सभी संस्थानों को आदेश भेजने का प्रक्रिया शुरू कर दी है.
झारखंड में 10 सरकारी विश्वविद्यालयों में अब तक पांच विवि ने ही नैक से मान्यता प्राप्त की है. एक अनुमान के अनुसार, झारखंड के लगभग 60 प्रतिशत संस्थानों ने अब तक नैक से मान्यता नहीं ली है. कई संस्थानों ने नैक से निरीक्षण कराने के लिए आवेदन दिया है. नैक की रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में कुल मिलाकर 308 प्रथम श्रेणी के कॉलेज हैं, जो नैक की मान्यता प्रक्रिया के हकदार हैं.
इनमें 183 सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थान हैं. नैक से अब तक केवल 101 संस्थानों ने ही मान्यता ली है. झारखंड में कोल्हान विवि को सी ग्रेड मिला है, जबकि इसकी मान्यता 24 मई 2021 तक की ही है. इसी प्रकार विनोबा भावे विवि हजारीबाग को बी ग्रेड मिला है और इसकी भी नैक से मान्यता 16 मार्च 2021 तक की ही है.
रांची विवि को बी प्लस प्लस ग्रेड मिला है और इसकी मान्यता एक मई 2022 तक है. केंद्रीय विवि झारखंड को बी ग्रेड मिला है और इसकी मान्यता अवधि 14 जुलाई 2024 तक है. सिदो-कान्हू मुर्मू विवि दुमका को सी ग्रेड मिला है और इसकी मान्यता एक नवंबर 2023 को समाप्त हो रही है. प्राइवेट विवि में झारखंड राय विवि को सी ग्रेड मिला है और इसकी मान्यता 25 सितंबर 2023 तक है.
नैक यूजीसी का ही एक हिस्सा है. इस संस्था की जिम्मेदारी देश भर के विवि, कॉलेज, उच्च शिक्षण संस्थानों और निजी संस्थानों में गुणवत्ता को परख कर ग्रेड देना है. इसके लिए शिक्षण संस्थान अपने स्तर से प्राथमिक तैयारियां पूरी करने के बाद नैक ग्रेडिंग के लिए आवेदन करते हैं. नैक की ओर से टीम संस्थान का निरीक्षण करती है.
निरीक्षण के दौरान कॉलेज में शिक्षण सुविधाएं, रिजल्ट, आधारभूत संरचना, विद्यार्थियों, शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थिति, उन्हें मिलनेवाली सुविधाएं, कैंपस का वातावरण, प्लेसमेंट, शोध कार्य सहित हर जरूरी जानकारी ली जाती है. इस आधार पर नैक की टीम अपनी रिपोर्ट जमा करती है. इससे कॉलेज को सीजीपीए दिया जाता है, जिसके आधार पर ग्रेड जारी होता है और केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अनुदान दिये जाते हैं.
Posted By : Sameer Oraon