UP Chunav 2022: झांसी का बबीना शहर सेना की छावनी के लिए प्रसिद्ध है. बबीना उत्तर प्रदेश की ऐसी विधानसभा सभा सीट है जो इमरजेंसी के समय काफी चर्चा में रही थी. दरअसल, ये वही शहर हैं, जहां कांग्रेस को फंड की जरूरत पड़ने पर बबीना की जनता ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को सोने-चांदी से तौल दिया था. बबीना विधानसभा सीट के लिए पहली बार वोटिंग 1967 में हुई थी. 1980 और 1985 में कांग्रेस की नेता बेनी बाई ने यहां से जीत दर्ज की और प्रदेश सरकार में मंत्री भी बनीं.
1967 के पहले बबीना विधानसभा ललितपुर विधानसभा का हिस्सा हुआ करती थी. 1967 में पहली बार अलग बबीना विधानसभा सीट पर मतदान हुआ. इस सीट पर साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. इस दौरान बबीना में कुल 42.02 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2017 में बीजेपी से राजीव सिंह पारीछा ने समाजवादी पार्टी (SP) के यशपाल सिंह यादव को 16837 वोटों से हराया था. बबीना विधानसभा सीट के लिए मतदान रविवार, 20 फरवरी 2022 के दिन होगा, और मतगणना 10 मार्च को होगी.
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1996 चुनाव में बसपा के उम्मीदवार सतीश जटारिया ने जीत दर्ज की थी
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2002 चुनाव में सपा के रतन लाल अहिरवार यहां से विधायक चुने गए.
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2007 चुनाव में भी रतन लाल अहिरवार ही विधायक चुने गए, लेकिन इस बार उन्होंने बसपा की टिकट पर चुनाव जीता
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2012 चुनाव में बसपा से कृष्णा पाल सिंह राजपूत ने जीत दर्ज की.
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2017 चुनाव में बीजेपी से राजीव सिंह पारीछा विधायक चुने गए.
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कुल मतदाता- 3,26,097
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पुरुष मतदाता- 1,73,472
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महिला मतदाता- 1,52,591
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थर्ड जेंडर मतदाता- 34
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कृषि आधारित समस्याएं अक्सर बनी रहती हैं.
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क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा पेयजल और सिंचाई के पानी का संकट से जूझ रहा है.
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बेरोजगारी, गंदगी, पानी, सीवर जाम की समस्याएं आम हैं.
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ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य की समस्याएं.
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रोजगार के लिए साधनों की कमी भी यहां की जनता की प्रमुख समस्याओं में से एक है.