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दुमका के ब्लैकबोर्ड मॉडल से ऑनलाइन रूबरू हुए ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और छात्र, आने की जतायी इच्छा

jharkhand news: दुमका के ब्लैकबोर्ड शिक्षा पद्धति का देश-विदेश में प्रसिद्ध मिल रही है. जापान के ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और छात्रों ने वेबिनार के माध्यम से डॉ सपन कुमार द्वारा गांव के बच्चों को घर के दीवार पर पढ़ाने के तरीकों को देखकर काफी प्रभावित हुए. वहीं, यहां आने की इच्छा भी जाहिर की.

Jharkhand news: दुमका जिला के डुमरथर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ सपन कुमार के ब्लैकबोर्ड मॉडल को जापान के प्रोफेसर और छात्रों ने वेबिनार के माध्यम से लाइव जुड़कर अध्ययन किया. जापान के प्रोफेसर और उनके छात्र भारत के शिक्ष के इस आइडिया को देखकर अचंभित रह गये.

डॉ सपन कुमार ने बताया कि जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कीमा तुजिनो ने अपने छात्रों के साथ डूमरथर मध्य विद्यालय में 2020 से ही कोरोना काल से अनवरत पढ़ाने के लिए अपनाये गये आइडिया (ब्लैक बोर्ड मॉडल) को देखा. छात्रों ने इसके बारे में विस्तार से चर्चा की. कैसे गांव के सभी मकानों की दीवारों पर मिट्टी से ब्लैकबोर्ड बनाये गये हैं.

कोविड काल में शिक्षा के क्षेत्र में अपनाये गये इस आइडिया को लेकर अनुभव को वेबिनार के माध्यम से साझा किया गया. डॉ सपन ने बताया कि उनके गांव का नाम विश्वस्तर पर हो रहा है. उन्हें काफी खुशी मिल रही है. कोरोना जैसी विकट परिस्थिति में पढ़ाई को बंद कर देना देश के विकास में बाधक बन सकता था.

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गरीब घर के बच्चे जिसके पास स्मार्टफोन नहीं है, ब्लैकबोर्ड मॉडल, मोहल्ला क्लास आदि से पढ़ सकते हैं. छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाई से जोड़कर रखना काफी जरूरी है. खासकर आदिवासी क्षेत्रों में गरीब घर के बच्चों को पढ़ाना. उनमें पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करना और बच्चों के हाथ में किताब पकड़वाना काफ कठिन कार्य है. लेकिन, ब्लैक बोर्ड मॉडल ने इस परेशानी को काफी हद तक कम किया है.

आइडिया को विदेशों में सराहा जा रहा : डाॅ दीपा

जापान-भारत वेबिनार कार्यक्रम की कोटऑर्डिनेटर डॉ दीपा दास ने बताया कि डॉ सपन कुमार के मॉडल को जापान के प्रोफेसर और छात्रों ने काफी पसंद किया है. जापान के प्रोफेसर कीमा तुजिनो ने डूमरथर के सभी बच्चों और शिक्षक के प्रति आभार व्यक्त किया और उन्होंने सपन के नवाचार को अद्भुत कहा. उन्होंने डूमरथर आने की इच्छा जतायी. इस कार्यक्रम में NCERT की प्रोफेसर डॉ शरद सिन्हा भी जुड़ी हुई थीं.

Posted By: Samir Ranjan.

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