जिले के घाघरा व बिशुनपुर प्रखंड में सरसों की खेती की जा रही है. तेलहनी फसलों के बढ़ावा के लिए प्रथम फेज में 40 हेक्टेयर खेत में सरसों की फसल लगायी गयी है, जो अब तैयार होने लगी है. कृषि विज्ञान केंद्र गुमला विकास भारती बिशुनपुर के द्वारा किसानों को प्रेरित कर तेलहनी फसलों के बढ़ावा हेतु सरसों फसल की खेती करायी जा रही है.
कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार जिला के विभिन्न प्रखंडों एवं गांव में 40 हेक्टेयर में सरसों की खेती की जा रही है. जिसके तहत इंस्टीट्यूशनल ट्रेनिंग अंतर्गत घाघरा प्रखंड के दो गांव बेंती व खटंगा के 30 किसानों को सरसों फसल के प्रबंधन पर प्रशिक्षण दिया गया. जिसका मुख्य उद्देश्य सरसों की खड़ी हुई फसलों को कीट एवं बीमारी से बचाते हुए उत्पादकता के साथ-साथ उत्पादन को बढ़ाना है.
प्रशिक्षण का उद्घाटन संस्था के संयुक्त सचिव महेंद्र भगत, वरीय वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार ने किया. डॉ संजय कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण में किसानों को सरसों के कीट एवं बीमारी से अवगत कराया. साथ ही प्रशिक्षणार्थियों को सुरक्षित उत्पादन को रखने के लिए बीज ड्रम भी केंद्र द्वारा उपलब्ध कराया गया.
19 व 20 जनवरी को गुमला, सिसई एवं बिशुनपुर प्रखंडों के किसानों को भी दो दिनी इंस्टीट्यूशनल प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसी कार्यक्रम के तहत पीएम 30 प्रभेद को बढ़ावा दिया जा रहा है जो 130-137 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. इसमें तेल का प्रतिशत 37.7 तक व उत्पादन क्षमता 18 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. मौके पर वैज्ञानिक डॉ निशा तिवारी, डॉक्टर नीरज कुमार वैश्य, अटल बिहारी तिवारी एवं सुनील कुमार सहित किसान मौजूद थे.