हिंदी पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 21 जनवरी को सुबह 08:51 बजे से शुरु हो रही है. इस दिन गणेश जी को खास तौर पर तिल से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं.
गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है ऐसी मान्यता है कि गणेश की पूजा करने से सारे काम शुभ होते हैं. गणेश जी की पूजा और आरती से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. गणेश जी की आरती करने से सकारात्मकता आती है. गणेश जी को बुद्धिदाता भी कहा जाता है. इसलिए गणेश जी की आरती करने से सद्बुद्धि भी आती है
गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डू के भोग लगे संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
अंधे को आंख देत कोढिन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।।
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
– ॐ गं गणपतये नम:
– वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
– ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
सकट चौथ (Sakat Chauth) पर सौभाग्य योग दोपहर 03 बजकर 06 मिनट तक रहेगा और उसके बाद शोभन योग शुरू होगा.वहीं चतुर्थी तिथि 22 जनवरी को सुबह 09:14 बजे तक है. इस बात का खास ख्याल रखें कि चंद्रोदय के समयानुसार सकट चौथ का व्रत रखना उचित है. कहा जा रहा है कि 22 जनवरी में चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय नहीं होगा. ये व्रत संतान की सुरक्षा और उसकी खुशहाली के लिए रखा जाता है. इसी के साथ शुभ कार्यो के लिए उत्तम माने जाने वाला अभिजीत मुहूर्त भी 21 जनवरी को दोपहर 12:11 मिनट से शुरू होकर 12:54 मिनट तक रहेगा.
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सकट चौथ के दिन सौभाग्य योग सुबह से लेकर दोपहर 03 बजकर 06 मिनट तक है.
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उसके बाद से शोभन योग प्रारंभ हो जाएगा, जो यह 22 जनवरी को दोपहर तक है.
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दोनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं.
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21 जनवरी को सुबह 09:43 बजे तक मघा नक्षत्र है, इसे मांगलिक कार्यों के लिए अच्छा नहीं मानते हैं. ऐसे में इस समय के बाद ही सकट चौथ की पूजा करें.
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सुबह 09:43 बजे के बाद पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शुरू हो जाएगा, जो शुभ कार्यों के लिए ठीक माना जाता है.