रांची : जिन विद्यार्थियों की पढ़ाई किन्हीं कारणों से बीच में छूट गयी है, तो उनके लिए एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट लाभदायक साबित होगा. नयी शिक्षा नीति के तहत यूजीसी ने इसका संशोधित गजट जारी कर दिया है. साथ ही सभी विवि व कॉलेज को इसे लागू करने को कहा है. इस व्यवस्था से छात्रों की पढ़ाई बेकार नहीं जायेगी. छात्रों ने जितने समय तक पढ़ाई की है, उसी आधार पर उन्हें प्रमाण पत्र दिया जायेगा. इसके बाद वे सशर्त जब चाहें अपनी पढ़ाई, वहीं से शुरू कर सकते हैं.
यूजीसी के सचिव प्रो रजनीश जैन ने कहा है कि इस योजना के तहत अगर कोई छात्र किन्हीं कारणों से बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देता है, तो उसे संबंधित कोर्स के समय के हिसाब से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री प्रदान की जायेगी. यानी प्रथम वर्ष पास करने वाले विद्यार्थी को सर्टिफिकेट दिया जायेगा. जबकि, द्वितीय वर्ष पास करने पर विद्यार्थी को एडवांस डिप्लोमा और तीन वर्ष का कोर्स पूरा करने पर उसे ग्रेजुएशन की डिग्री तथा चार वर्ष की पढ़ाई करने पर रिसर्च के साथ डिग्री दी जायेगी.
यूजीसी द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट एक कॉमर्शियल बैंक की तरह काम करेगा और छात्र इसके ग्राहक होंगे. क्लास वर्क और ट्यूटोरियल के आधार पर विद्यार्थी का एकेडमिक क्रेडिट स्टोर किया जायेगा. यह क्रेडिट सात साल के लिए मान्य होगा.
एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट एक वर्चुअल स्टोर हाउस है, जो सभी विद्यार्थियों के डेटा का रिकॉर्ड रखेगा. इसके लिए विवि व कॉलेज को इसमें रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
प्रो रजनीश जैन, सचिव, यूजीसी
Posted by : Sameer Oraon