पटना. बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद बीते करीब पौने छह साल में इससे जुड़े मामलों की न्यायालय में सुनवाई काफी धीमी रही है. इससे संबंधित दर्ज करीब 3.5 लाख मामलों में मात्र 1636 केस में ही ट्रायल पूरा हो सका है.
पूर्वी चंपारण – 128, अररिया -88, रोहतास – 64, समस्तीपुर – 62, पश्चिम चंपारण – 57, किशनगंज – 41
अररिया – 192, बांका – 136, वैशाली – 42, शिवहर – 39, सुपौल – 38, पश्चिम चंपारण – 32
लंबी ट्रायल प्रक्रिया के बाद भी पर्याप्त सबूतों के अभाव में मात्र 1019 को ही सजा दिलायी जा सकी. लगभग 40 फीसदी यानि 610 अभियुक्त रिहा कर दिये गये. हालांकि मुख्यमंत्री के कड़े तेवर के बाद मद्य निषेध और बिहार पुलिस ने ट्रायल के शेष मामलों में दोषियों को सजा दिलाने के लिए न्यायालय में पर्याप्त साक्ष्य पेश करने को लेकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है.
इसके तहत तेजी से मामले की सुनवाई कराने पर फोकस किया गया है, ताकि अधिक देरी होने पर साक्ष्य नष्ट होने से बचाया जा सके. रिहा हुए अभियुक्तों को भी सजा दिलाने के लिए उच्च न्यायालय में अपील की व्यवस्था की जा रही है.
राज्य में अररिया, बांका, भागलपुर, पूर्वी चंपारण, किशनगंज, रोहतास, समस्तीपुर, वैशाली और पश्चिम चंपारण जिलों में सबसे अधिक केसों का ट्रायल पूरा हुआ है. इसलिए इन्हीं जिलों में सबसे अधिक अभियुक्तों की रिहाई और सजा भी मिली है.
अररिया में सबसे अधिक 192, बांका में 136, वैशाली में 42, शिवहर में 39, सुपौल में 38, पश्चिम चंपारण में 32 और किशनगंज में 28 आरोपियों की रिहाई हुई. इसी तरह, पूर्वी चंपारण में सबसे अधिक 128 लोगों को इस मामले में सजा मिली है. इसके साथ ही अररिया में 88, रोहतास में 64, समस्तीपुर में 62, पश्चिम चंपारण में 57 और किशनगंज में 41 अभियुक्तों को सजा दिलायी गयी.
न्यायालयों में शराबबंदी के लंबित मामलों के जल्द निबटारे के साथ ही अभियुक्तों को सजा दिलाने में लीगल कंसल्टेंट उत्पाद अधीक्षकों की मदद कर रहे हैं. इसके लिए हर जिले में एक से दो लीगल कंसल्टेंट की प्रतिनियुक्ति की गयी है.
विभाग स्तर पर भी इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है. यह लीगल कंसल्टेंट वाहन एवं जमीन-मकान अधिग्रहण से जुड़े मामलों को भी देख रहे हैं. पटना सहित विभिन्न जिलों में बनाये गये 74 विशेष कोर्ट शुरू होने से भी शराबबंदी के मामलों के जल्द निबटारे व दोषियों को सजा मिलने की आस बढ़ी है.