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मकर संक्रांति को लेकर सजा तिलकुट, चूड़ा-गुड़ का बाजार, जानें आपके जिले में किस रेट में मिल रहा सामान

jharkhand news: मकर संक्रांति को लेकर झारखंड में तिलकुट, चूड़ा और गुड़ समेत अन्य सामान का बाजार सज गया है. कहीं खरीदारों की भीड़ रही है, तो कहीं दुकानदार ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं. कोडरमा और पलामू समेत अन्य जिलों में तिलकुट, चूड़ा समेत अन्य सामान का भाव जान लें.

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति को लेकर कोडरमा, पलामू समेत राज्य के सभी जिलों में तिलकुट, चूड़ा, गुड़ आदि का बाजार सज गया है. कहीं खरीदारों की भीड़ उमड़ने लगी है, तो कहीं कोरोना का डर लोगों को सता रहा है. खरीदारों के नहीं आने से दुकानदारों की धड़कनें भी तेज होने लगी है.

कोडरमा में तिलकुट और चूड़ा का बाजार

कोडरमा जिले में इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 14 व 15 जनवरी दोनों दिन मनाए जाने की तैयारी है. पर्व से पूर्व गुरुवार को खरीदारी के लिए बाजार में लोगों की भीड़ लगी रही. देर शाम तक मकर संक्रांति को लेकर तिलकुट, चूड़ा, गुड़ आदि की बिक्री से बाजार गुलजार रहा. मान्यता के अनुसार इस दिन तिल का सेवन करना काफी शुभ माना जाता है. वहीं, इस दिन सूर्य का मकर में प्रवेश होने से ही सारे शुभ काम शुरू हो जाते हैं. जैसे शादी विवाह, बच्चों का मुंडन सहित अन्य शुभ कार्य की शुरुआत हो जाती है.

पौष पूर्णिमा के बाद दूसरा बड़ा स्नान पर्व मकर संक्रांति का माना जाता है. त्योहार को लेकर बाजार में एक माह पूर्व से ही तिलकुट की सोंधी खुशबू फैलने लगी थी. चौक-चौराहों पर मौसमी कारोबारियों ने तिलकुट व तिल से बने सामान की अस्थाई दुकानें सजा रखी है. इसमें लोगों ने जमकर खरीदारी की. इनमें से कई दुकानों में बिहार के गया, नवादा व बिहारसरीफ सहित विभिन्न जिलों के कारीगरों द्वारा तिलकुट आदि बनाया जा रहा है.

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पुराना नगर पर्षद के समीप भी तिलकुट की अस्थाई दुकान सजी है. श्री नरेश तिलकुट भंडार के संचालक नरेश गुप्ता व बिट्टू गुप्ता के अनुसार तिल के दाम में इजाफा होने से पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 5 से 10 फीसदी महंगई का प्रभाव दिख रहा है. हालांकि, इसका असर तिलकुट की बिक्री पर नहीं है. गुरुवार देर शाम तक दुकान में अच्छे खासे तिलकुट की बिक्री हो चुकी है. इन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग गुड से बना तिलकुट पसंद कर रहे हैं. वहीं खोवा और चीनी से बनी तिलकुट की भी बिक्री अच्छी हो रही है.

मकर संक्रांति का महत्व

मान्यता है कि संक्रांति के दिन भगवान भास्कर (सूर्य) अपने पुत्र शनिदेव से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं. इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस दिन सूर्य के उत्तरायण होते ही एक माह से मांगलिक कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी खत्म हो जाता है. मकर संक्रांति से सभी मांगलिक कार्यों की धूम शुरू हो जाती है और शहनाइयों की गूंज भी शुरू हो जाती है. पंडित गौतम पांडेय के अनुसार सूर्य शुक्रवार की रात्रि 8:34 बजे मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं. ऐसे में शनिवार को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी. इनके अनुसार मकर संक्रांति पर तिल के सामग्रियों के सेवन करने की परम्परा अनादि काल से चली आ रही है. इस दिन विभिन्न जलाशयों व नदी तटों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती है जहां पवित्र स्नान करने के बाद श्रद्धालु सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करते हैं. इसके उपरांत यथा संभव दान-पुण्य करते हैं. इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है. इसमें खिचड़ी, वस्त्र व तिल का दान किया जाता है। इसके साथ ही तिल का सेवन करने का विधान है.

कोडरमा बाजार में कीमत (रुपये प्रति किलो में)

लोकल तिलकुट : 200 से 220 रुपये
स्पेशल तिलकुट : 240 से 250 रुपये
गुड़ स्पेशल तिलकुट : 240 से 250 रुपये
खोवा तिलकुट : 340 से 360 रुपये
तिल पापड़ी : 300 रुपये
बादाम पापड़ी : 250 रुपये
बादाम लड्डू : 200 रुपये
काला तिल लड्डू : 400 रुपये
मस्का : 120 से 150 रुपये
तिल कतरी : 200 से 220 रुपये

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पलामू में भी सजा बाजार, पर नहीं निकल रहे हैं ग्राहक

मकर संक्रांति के पूर्व पलामू के हैदरनगर बाजार में तिलकुट और चूड़ा की दर्जनों दुकानें सज गयी है. चूड़ा-तिलकुट दुकानदार मनोज कुमार और राजा गिरी ने बताया कि उन्होंने माल पूरा मंगाया है. मगर अब मकर संक्रांति को एक दिन बचा है. ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं. बाजार पर कोरोना का काफी प्रभाव देखने को मिल रहा है. दुकानदारों ने बताया कि कोरोना की वजह इस वर्ष भी भीम चूल्हा, दंगवार और देवरी में मेला का आयोजन नहीं होगा. तिलकुट-चूड़ा की बिक्री प्रभावित होने का एक बड़ा कारण ये भी हो सकता है.

दुकानदारों ने बताया कि 2020 के पूर्व एक एक दुकानदार 3 से 4 क्विंटल तिलकुट की बिक्री करते थे. वर्ष 2020 के बाद 2 क्विंटल भी बेचना मुश्किल हो गया है. दुकानदारों ने बताया कि सामान्य से उच्च क्वालिटी तक का तिलकुट बाजार में उपलब्ध है जो प्रति किलो 150 रुपये से 250 रुपये तक का है. उन्होंने बताया कि देश में मशहूर गया का तिलकुट लगभग सभी दुकानों पर उपलब्ध है. वहीं, चूड़ा भी कई क्वालिटी में उपलब्ध है जो 30 रुपये से 40 रुपये प्रति किलो मूल्य का है.

उधर, दही का कारोबार करने वाले विजय जायसवाल ने बताया कि उन्होंने अपनी दुकान से मकर संक्रांति के पूर्व 2 क्विंटल तक दही की बिक्री करते थे. पिछले वर्ष से एक क्विंटल कि बिक्री भी मुश्किल हो गई है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल तक ऐसी ही स्थिति रहने की संभावना है.

Posted By: Samir Ranjan.

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