पटना. हाइकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी व 27 प्राइवेट विधि महाविद्यालयों की संबद्धता के मामले को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया को निर्देश दिया कि वह सभी संबंधित पक्षों को अपना निरीक्षण रिपोर्ट 17 जनवरी के पहले उपलब्ध करा दें ताकि 17 जनवरी को इस मामले पर विस्तृत सुनवाई हो सके.
चीफ जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कुणाल कौशल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. पिछली सुनवाई में हाइकोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया को भी यह निर्देश दिया था कि वह इन कालेजों का निरीक्षण कार्य तीन सप्ताह में पूरा कर निरीक्षण रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करें.
इसके साथ ही कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया को कहा था कि जिन कॉलेजो को पढ़ाई जारी रखने की अनुमति उसने दी है उन कॉलेजों में क्या क्या व्यवस्था एवम सुबिधा उपलब्ध है उसकी भी जानकारी कोर्ट को दी जाये .
इसके पहले कोर्ट ने सभी विधि महाविद्यालयों को कहा था कि वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष अपने विधि महाविद्यालय का निरीक्षण कराने के लिए एक आवेदन बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया को दे दे जिसपर बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया वर्चुअल या फिजिकल जैसे भी चाहे अपना निरीक्षण कर लेगा .
बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह देखना था कि विधि शिक्षा, 2008 के नियमों का पालन इन शिक्षण संस्थानों में किया जा रहा है या नहीं. कोर्ट ने स्पस्ट रूप से कहा था कि इन विधि महाविद्यालयों को पुनः चालू करने के लिए अस्थाई अनुमति देते समय बार काउंसिल ऑफ इंडिया किसी भी प्रकार का नियमों में ढील नहीं देगा.
मालूम ही कि इससे पूर्व की सुनवाई में हाइकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी व निजी विधि महाविद्यालयों मेंअगले आदेश तक नामांकन पर रोक लगाते हुए चांसलर कार्यालय, राज्य सरकार, संबंधित विश्वविद्यालय व अन्य से जवाब तलब किया था.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कोर्ट के समक्ष अपना जो रिपोर्ट पेश किया था उसमें यह कहा गया था कि राज्य में जितने भी विधि महाविद्यालय हैं उनमें समुचित व्यवस्था नहीं है. योग्य शिक्षकों व प्रशासनिक अधिकारियों की भी काफी कमी हैं. इसका असर विधि की पढ़ाई पर पड़ रहा है.वहां
बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है.याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि राज्य के किसी भी सरकारी व निजी विधि महाविद्यालयों में रूल्स ऑफ लीगल एजुकेशन, 2008 के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है.उन्होंने कोर्ट को बताया था कि यही कारण है कि राज्य में लॉ की पढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा है. इस मामले पर 17 जनवरी,2022 को फिर सुनवाई की जायेगी .