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Assembly Elections 2022: पांच राज्यों में चुनाव का बिगुल बजा, जानें, कहां किस पार्टी का किससे है मुकाबला

Election Dates Announcement: उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड और गोवा के चुनावों का ऐलान हो गया है. राजनीतिक पार्टियां भी तैयार हैं. जानें, किस राज्य में कौन सी पार्टी है मुकाबले में...

Election Dates Announcement: चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव का बिगुल बजा दिया है. चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में 7 चारणों में चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ है. उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में चुनाव होंगे, तो मणिपुर में 2 चरणों में. गोवा, उत्तराखंड और पंजाब में एक दिन में वोटिंग होगी. इन 5 में से 4 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार है. पंजाब में कांग्रेस की सरकार चल रही है.

चुनाव के ऐलान के साथ ही सभी पार्टियों ने दावा करना शुरू कर दिया है कि जनता उसे ही चुनेगी. उत्तर प्रदेश में पिछले 5 साल से सत्तारूढ़ भाजपा का दावा है कि वह 300 से अधिक सीटें जीतकर फिर से सत्ता में लौटेगी, तो समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव 400 से अधिक सीटें जीतने का दावा पहले से ही करते रहे हैं. मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी सत्ता में आने के दावे कर रही है.

उत्तर प्रदेश: भाजपा-सपा में सीधे मुकाबले की उम्मीद

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में पूरा जोर लगा रखा है. कांग्रेस को उम्मीद है कि पिछले कई चुनावों के बाद इस बार उसके लिए यूपी में बेहतर मौका है. हालांकि, माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही होनी है. बसपा और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी (आप) मुकाबले को दिलचस्प बनाने में जुटे हैं.

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देश के सबसे बड़े राज्यों में शामिल उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 403 विधानसभा सीटें हैं. वर्ष 2017 के चुनावों में यहां लंबे अरसे बाद भारतीय जनता पार्टी 325 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आयी थी. समाजवादी पार्टी ने 47 सीटें जीतीं थीं जबकि बहुजन समाज पार्टी के हिस्से में 19 सीटें आयीं थीं. कांग्रेस को 7 और अन्य दलों को 5 सीट पर जीत मिली थी.

पंजाब: अंतर्कलह से उबर पायेगी कांग्रेस?

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (बादल) और भाजपा के गठबंधन को पराजित कर प्रचंड बहुमत के साथ वर्ष 2017 में सत्ता पर काबिज होने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार मुश्किलों में घिरी नजर आती है. हालांकि, नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ किसानों के आंदोलन ने उसे ताकत दी है. यहां अकाली दल की बजाय इस बार कांग्रेस का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ हो सकता है, जिसके साथ कांग्रेस के कद्दावर नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह आ गये हैं.

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कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी कमजोर हुई है और पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से पार्टी में गुटबाजी है सो अलग. किसानों के कंधे पर सवार होकर कांग्रेस इस बार पंजाब में चुनाव का रण जीतने की कोशिश में जुटी है. वहीं, बीजेपी को उम्मीद है कि ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़कर ज्यादा सीटें वह जीत पायेगी.

वर्ष 2017 के चुनाव में पंजाब की कुल 117 में से 77 सीटें पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. आम आदमी पार्टी (आप) दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उसने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी. अकाली दल 15 सीटों पर सिमट गयी थी. भारतीय जनता पार्टी ने पंजाब में तब 3 सीटें जीतीं थीं जबकि अन्य दलों के हिस्से में सिर्फ 2 सीटें आयीं थीं. इसलिए देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब में दो दलों के बीच सीधा मुकाबला होता है या आम आदमी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनायेगी.

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उत्तराखंड: कांग्रेस-बीजेपी के बीच कोण बना रही आम आदमी पार्टी

उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटें हैं. यहां भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2017 में कांग्रेस से सत्ता छीनी थी. पांच साल में सरकार बदलने का यहां चल रहा है. इसलिए कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं, तो भाजपा का कहना है कि वह सत्ता में वापसी करने जा रही है. यहां आम आदमी पार्टी भी पहुंच गयी है. हालांकि, दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी अरविंद केजरीवाल की पार्टी के बारे में कहा जाता है कि जहां भी चुनाव होते हैं, वह कांग्रेस का खेल खराब करने के लिए वहां पहुंच जाते हैं.

बहरहाल, आम आदमी पार्टी का दावा है कि वह वोटकटवा नहीं है. स्वच्छ प्रशासन देने के लिए वह चुनाव लड़ती है और जीतने के लिए लड़ती है. अगर आप की उत्तराखंड में सरकार बनी, तो दिल्ली की तरह लोगों को वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मिलने लगेंगी. कई मुफ्त चीजों की भी घोषणा उन्होंने कर दी है. उत्तराखंड की 70 में से 56 सीटें वर्ष 2017 में भाजपा ने जीतीं थीं. कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें मिलीं थीं. अन्य दलों ने भी 3 सीट पर जीत दर्ज की थी.

अब बात मणिपुर और गोवा की करते हैं. ये दोनों ऐसे राज्य हैं, जहां पर्याप्त संख्या बल नहीं होने के बावजूद वर्ष 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बना ली थी. ज्यादा सीटें जीतकर भी कांग्रेस मुंह ताकती रह गयी थी. गोवा में अमित शाह के निर्देश पर नितिन गडकरी ने मोर्चा संभाला था और दिग्विजय सिंह की रणनीति धरी की धरी रह गयी थी.

गोवा: ममता बनर्जी व अरविंद केजरीवाल कितने बड़े फैक्टर?

वर्ष 2017 के चुनावों में गोवा में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 17 सीटें जीतीं थीं. गोवा के कांग्रेस प्रभारी दिग्विजय सिंह सरकार बनाने के लिए क्षेत्रीय दलों से बात करने की तैयारी कर ही रहे थे कि नितिन गडकरी ने उन्हें अपने पाले में करके भाजपा की सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया. मात्र 13 सीटें जीतने वाली भाजपा ने गोवा की स्थानीय पार्टियों को अपने साथ मिलाया और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर के नेतृत्व में गोवा में बीजेपी की सरकार बन गयी. कांग्रेस और भाजपा की सीधी टक्कर को प्रभावित करने के लिए बंगाल की ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी भी मैदान में आ गयी है. देखना है कि ये कितना बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं.

मणिपुर: मुंह ताकती रह गयी कांग्रेस, भाजपा ने बना ली सरकार

मणिपुर में भी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस मुंह ताकती रह गयी और भाजपा सत्ता पर काबिज हो गयी. मणिपुर की कुल 60 में से 28 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी. बीजेपी ने 21 सीटें जीतीं थीं. लेकिन भाजपा ने एनपीएफ, एनपीपी और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. एनपीएफ और एनपीपी को 4-4 सीटों पर जीत मिली थी. अन्य दलों के हिस्से में 3 सीट आयी थी. पूर्वोत्तर के इस राज्य मणिपुर में इस बार भी कांग्रेस-बीजेपी के बीच सीधे मुकाबले की उम्मीद होती दिख रही है.

Posted By: Mithilesh Jha

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