Jharkhand news: गुमला जिला में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों की संख्या साल-दर-साल बढ़ते ही जा रही है. पूर्व में जिले के किसान स्ट्रॉबेरी से अनजान थे. बाद में झारखंड सरकार द्वारा स्ट्रॉबेरी से किसानों की आर्थिक उन्नति एवं उद्यान्निकी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला उद्यान्न विभाग, गुमला को 4 साल पूर्व स्ट्रॉबेरी की खेती की योजना दी गयी. इसे बाद से यहां के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती में इस तरह से रम गये कि 5 प्रखंडों में किसानों की संख्या 74 पहुंच गयी.
वित्तीय वर्ष 2018-19 में किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती में रूचि नहीं ली. इसके बाद उद्यान्न विभाग ने स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर किसानों को जागरूक करना शुरू किया और उससे होनेवाले लाभ से अवगत कराया. जिसके बाद बमुश्किल पांच-छह किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए तैयार हुए. फसल तैयार होने के बाद उससे हो रही आर्थिक आमदनी को देखते हुए अन्य किसान भी स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर प्रेरित हुए.
इसके बाद वित्तीय वर्ष 2019-20 में उद्यान्न विभाग में फिर से स्ट्रॉबेरी खेती की योजना आयी, तो इसकी खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ गयी. दूसरे साल में लगभग 15 किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती की. इसके बाद वित्तीय वर्ष 2020-21 में 23 किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती की. अब इधर, वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों की संख्या काफी अधिक बढ़ गयी.
उद्यान्न विभाग में वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्ट्रॉबेरी की खेती योजना आने के बाद काफी संख्या में किसानों ने विभाग में आवेदन जमा किया. जिसमें से 74 किसानों को चिन्हित किया गया है. सभी चिन्हित किसानों के बीच स्ट्रॉबेरी का पौधा का वितरण कर दिया गया है. किसान अपने-अपने खेत में स्ट्रॉबेरी का पौधा लगाने का काम भी शुरू कर दिये हैं.
स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले गुमला जिला के पांच प्रखंडों यथा गुमला, सिसई, बसिया, भरनो व कामडारा के 74 किसान हैं. इनमें से सिर्फ दो किसान पुरूष हैं, जबकि 72 महिला किसान हैं. ये सभी किसान अपने 35 एकड़ भू-भाग में लगभग 1.60 लाख पौधा लगायेंगे. जब फसल तैयार हो जायेगा तो किसान उसे बाजार में बिक्री कर अपनी आर्थिक आमदनी कर सकेंगे. वहीं स्थानीय स्तर पर स्ट्रॉबेरी की खेती होने से बाजार की मॉनोपॉली भी खत्म होगी. गुमला जिला में पहले से ही बाहर से स्टॉबेरी लाकर बिक्री किया जाता रहा है. जो प्रति किग्रा 400 से 600 रुपये की दर से बिक्री होता रहा है. लेकिन, स्थानीय स्तर पर स्ट्रॉबेरी का उत्पादन होने से जिलेवासियों को कम कीमत में स्ट्रॉबेरी मिलेगी.
स्ट्रॉबेरी की खेती कर रही सिसई की महिला किसान लालमति देवी, भरनो की किसान सुनीता उरांव, रनिया उरांव, पार्वती उरांव, संजू उरांव, बसिया की किसान सरोजनी उरांव, करमी उरांइन, सुलोचनी देवी एवं गुमला के किसान प्रदीप महतो ने बताया कि पहले से ही क्षेत्र में दूसरे किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इसकी खेती के बाद उत्पादित फसल से आमदनी अच्छी है. बाजार में स्ट्रॉबेरी की मांग भी है. यहां के स्ट्रॉबेरी को बाहर भी निर्यात किया जा रहा है. जिला उद्यान्न विभाग ने इसकी खेती के लिए सहयोग किया है.
इस संबंध में उद्यान्न विभाग गुमला के तकनीक विशेषज्ञ दीपक कुमार ने कहा कि जिले के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर प्रेरित हो रहे हैं. पूर्व में काफी कम किसान इसकी खेती करते थे. लेकिन, अब दूसरे किसानों की देखा-देखी अन्य किसान भी इसकी खेती की ओर प्रेरित हो रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2021-22 की योजना से जिले के पांच प्रखंडों के 74 किसानों से स्ट्रॉबेरी की खेती कराया जा रहा है. संभावना है कि आगामी वर्ष इसकी खेती करने वाले किसानों की संख्या और भी बढ़ेगी.
रिपोर्ट : जगरनाथ पासवान, गुमला.