Agra News: जिले के सबसे बड़े खाद्य थोक बाजार मोतीगंज को व्यापारियों ने शुक्रवार को मंडी शुल्क लगाए जाने के विरोध में पूरी तरह से बंद रखा. उनका कहना था कि मंडी शुल्क लगने से भ्रष्टाचार और महंगाई बढ़ेगी. प्रदेश में फिर से इंस्पेक्टर राज की वापसी होगी, जिससे व्यापारियों का उत्पीड़न होगा. इसीलिए मंडी शुल्क को बंद किया जाना चाहिए. जब तक सरकार इस आदेश को वापस नहीं लेगी, वह इसी तरह से विरोध करेंगे.
दरअसल, आगरा में स्थित मोतीगंज खाद्य बाजार आगरा मंडल का सबसे बड़ा बाजार है. इस बाजार से आगरा के आसपास स्थित तमाम जिलों में खाद्य सामग्री का निर्यात होता है. ऐसे में विगत गुरुवार को श्री मोतीगंज खाद्य व्यापार समिति की तरफ से एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें व्यापारियों ने सरकार द्वारा लगाए गए मंडी शुल्क को खत्म करने की मांग उठायी. इसी के चलते शुक्रवार को उन्होंने मोतीगंज बाजार को पूर्ण रूप से बंद कर दिया और मंडी शुल्क लगाने के विरोध में जमकर प्रदर्शन किया.
श्री मोतीगंज खाद्य व्यापार समिति आगरा के अध्यक्ष रमनलाल गोयल ने बताया कि, मंडी शुल्क लगने से किराना, मेवा, सुपारी, काली मिर्च, मसाले व अन्य कई चीजों पर फर्क पड़ेगा. यह चीजें महंगी होंगी. इस काले कानून से भ्रष्टाचार बढ़ने के साथ ही महंगाई भी आसमान छूएगी. इसके साथ ही व्यापारियों की लिखा पढ़ी बढ़ेगी. सचल दल की ओर से व्यापारियों का उत्पीड़न किया जाएगा. इसलिए व्यापारी प्रदेश में मंडी शुल्क समाप्त करने और मंडी के अंदर कार्य करने वाले व्यापारियों को लाइसेंस जारी किए जाने की मांग कर रहे हैं.
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अन्य व्यापारियों का कहना था कि प्रदेश सरकार की ओर से लगाया जाने वाला मंडी शुल्क खत्म किया जाए. यह सही नहीं है. इससे व्यापारियों का उत्पीड़न होगा, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
श्री मोतीगंज खाद व्यापार समिति आगरा के महामंत्री विष्णु स्वरूप अग्रवाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष मुकुंद मिश्रा द्वारा मंडी शुल्क के विरोध में प्रदेश व्यापी खाद्य व्यापार बाजार बंद करने का आह्वान किया गया था, जिसके लिए उन्होंने बाजार बंद किया है. उनका कहना है कि हमारी मांग है ‘मंडी शुल्क हटाओ, भ्रष्टाचार मिटाओ’.
विष्णु स्वरूप अग्रवाल ने बताया कि सरकार दलहन से बनने वाली दाल और धान से बनने वाले चावल पर मंडी शुल्क लगा रही है. बाकी और प्रदेशों में ऐसा नहीं है. अगर सरकार ने इस मंडी शुल्क को वापस नहीं लिया तो व्यापारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे, जिससे 2022 में आने वाले विधानसभा चुनाव में खाद्यान्न की आपूर्ति रुक जाएगी.
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उनका कहना है कि मंडी शुल्क से भ्रष्टाचार बढ़ेगा, मंडी समिति के कर्मचारी एक रुपए शुल्क के नाम पर और ₹10 रिश्वत के नाम पर लेंगे. मंडी शुल्क के नाम पर व्यापारियों के साथ उत्पीड़न होगा इसीलिए आज मंडी शुल्क के विरोध में बाजार बंदी रखी गई है..
व्यापारियों का कहना है कि मंडी शुल्क की वजह से अफसर राज शुरू हो जाएगा, जिसकी वजह से व्यापारियों का उत्पीड़न किया जाएगा. जब प्रधानमंत्री ने पहले ही कह दिया था कि ‘एक कर एक देश’ की व्यवस्था है तो फिर और प्रदेशों को छोड़कर उत्तर प्रदेश में यह मंडी शुल्क क्यों लगाया जा रहा है.
रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा