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जया जेटली के नेतृत्‍व में दिल्ली हाट में शुरू हुआ 36वां दस्तकारी हाट क्राफ्ट बाजार

‘कृषि और कला’ थीम पर आधारित क्राफ्ट बाजार में देशभर के कलाकार एवं शिल्पकारों की कला शिल्‍प का प्रदर्शन

नई दिल्ल: भारतीय कला, शिल्प एवं परिधान की भव्यता का उत्सव मनाने के लिए दस्तकारी हाट समिति एक बार फिर अपने वार्षिक बहुप्रतीक्षित वार्षिक आयोजन क्राफ्ट बाजार के साथ प्रस्तुत है. आईएनए स्थित दिल्ली हाट में 15 जनवरी तक चलने वाले इस क्राफ्ट बाजार में देशभर से कलाकार और शिल्पकार अपनी कला एवं शिल्प को प्रदर्शित करेंगे. दस्तकारी हाट समिति की प्रेसिडेंट जया जेटली ने इस बार क्राफ्ट बाजार की थीम ‘कृषि और कला’ निर्धारित की है. वर्तमान परिस्थितियों के चलते सरकार द्वारा निर्धारित कोविड दिशा-निर्देशों के साथ 50 फीसदी क्षमता के साथ क्राफ्ट बाजार का आयोजन किया जा रहा है.

दस्तकारी हाट समिति पिछले 36 वर्ष से भारतीय शिल्प की विरासत को सहेज रही है और शिल्पकारों के लिए आजीविका सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयासरत है. विगत वर्षों में इसने 150 से ज्यादा बाजार आयोजित किए हैं. दिल्ली हाट जैसी अवधारणा भी दस्तकारी हाट समिति ने दी है.

दस्तकारी हाट समिति ने क्राफ्ट में कैलिग्राफी को पुनर्जीवित किया है और गूगल आर्ट्स एंड कल्चर प्लेटफॉर्म के लिए 52 क्राफ्ट का ऑनलाइन डॉक्युमेंटेशन किया है. दिल्ली हाट के वार्षिक बाजार में अन्य देशों से आए शिल्पकारों के बीच क्राफ्ट एक्सचेंज वर्कशॉप भी बहुत खास है. इस साल की थीम किसानों की आजीविका और शिल्प के बीच के संबंध को दर्शाया जाएगा. इस आयोजन में जैव विविधता के संवर्धन एवं संरक्षण में प्रयासरत संस्था नवधान्य भी सहयोगी के तौर पर जुड़ी है. नवधान्य संस्था जया जेटली एवं वंदना शिवा के नेतृत्व में संचालित होती है.

नवधान्य भारत की स्वदेशी धान की किस्मों को संरक्षित कर रही है. यहां सूखा, बाढ़ और ज्यादा लवण वाले पानी में भी उपज सकने वाली धान की किस्में हैं. नवधान्य हिमालय से लेकर ओडिशा के तटीय क्षेत्रों तक ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रही है

कृषि और कला के संबंधों पर जया जेटली ने कहा, ‘कृषि का अर्थ है भूमि की देखभाल करने की संस्कृति. जिसे किसान उगाते हैं, शिल्प उसे ही खूबसूरत स्वरूप दे देता है. किसान और शिल्पकार का गठजोड़ दिल, दिमाग और हाथों के गठजोड़ जैसा है. कृषि और शिल्पकार इस धरती के सह-रचनाकार हैं. लोकल सर्कुलर लिविंग इकोनॉमी किसानों को शिल्पकारों से और फिर दोनों को सीधे ग्राहकों से जोड़ती है. यह जुड़ाव जीवाश्म ईंधन से मुक्त विश्व निर्माण में अहम है.’

यहां आने वालों को टेबलवेयर, बर्तन, बास्केट समेत कई अनूठे शिल्प मिलेंगे. यहां ओडिशा व पश्चिम बंगाल से ब्रास, राजस्थान से टेराकोटा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व दिल्ली से सिरेमिक समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से अलग-अलग शिल्प देखने का मिलेंगे. दस्तकारी हाट समिति ने कला एवं शिल्प प्रेमियों से दिल्ली हाट पहुंचकर इन स्थानीय शिल्पकारों के उत्पाद खरीदते हुए उन्हें प्रोत्साहित करने की अपील की है.

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