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क्रिमिनल केस में बदल जाते हैं बिहार के 60 प्रतिशत टाइटिल सूट, जानिये क्या है कारण

जमीन विवाद से जुड़े 60 फीसदी मामले क्रिमिनल केस में तब्दील हो जाते हैं. इस वजह से थाना, अनुमंडल और जिला स्तर पर जमीन विवाद से जुड़े मामलों का निबटारा शुरुआती स्तर पर ही कर लिया जाये.

पटना. राज्य में हत्या, अपहरण, धमकी व हत्या के प्रयास जैसे सभी संज्ञेय अपराधों को नियंत्रित करने के लिए जमीन से जुड़े विवाद को नियंत्रित करने पर खासतौर से फोकस किया जा रहा है. पुलिस महकमे के एक आकलन के मुताबिक जमीन विवाद से जुड़े 60 फीसदी मामले क्रिमिनल केस में तब्दील हो जाते हैं. इस वजह से थाना, अनुमंडल और जिला स्तर पर जमीन विवाद से जुड़े मामलों का निबटारा शुरुआती स्तर पर ही कर लिया जाये.

इसके लिए राज्य सरकार ने बकायदा नियम बन रखे हैं. थाना स्तर पर सप्ताह में एक दिन, अनुमंडल स्तर पर 15 दिन और जिला स्तर पर महीने में एक दिन इस मसले पर बैठक करनी है, परंतु थानाप्रभारी और सीओ के संयुक्त रूप से थाना स्तर पर होने वाली बैठकों में ये बातें सामने आ रही हैं कि जमीन विवाद का निबटारा सही तरीके से नहीं किया जा रहा है.

दोनों पक्षों की बातों को समुचित तरीके से सुन कर इससे संबंधित उचित फैसला नहीं दिया जाता है. इस वजह से जमीन विवाद के मामले आगे बढ़ रहे हैं या बदस्तूर जारी रहते हैं और कुछ समय बाद यह क्रिमिनल विवाद में बदल जाता है.

साप्ताहिक बैठकों की मॉनीटरिंग का निर्देश

पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि वे थाना स्तर पर होने वाली साप्ताहिक बैठकों की समुचित मॉनीटरिंग करें. इसकी रोकथाम के लिए समुचित प्रयास करें. थानों को जमीन विवाद से जुड़े मामलों का निबटारा पूरी शिद्दत से करने के लिए कहा गया है. जो पक्ष सही है, उसके पक्ष में निर्णय दें.

इसके बाद अगर कोई संतुष्ट नहीं होता है, तो उसे न्यायालय में जाने की सलाह दें. किसी भी हालत में जमीन विवाद को क्रिमिनल विवाद में तब्दील होने की नौबत नहीं आये. थाना, अनुमंडल या जिला स्तर पर जमीन विवाद से जुड़ी बैठकों में मामलों का सुलह नहीं होने पर इसकी समीक्षा करें.

सितंबर 2021 तक थानों में 4605 मामले हैं लंबित

राज्य के सभी एक हजार 37 थानों में दिसंबर 2021 तक थाना स्तर पर 14 हजार 572 साप्ताहिक बैठकें हुईं. अनुमंडल स्तर पर 849 और जिला स्तर पर 208 बैठकें हुईं. इन बैठकों में जुलाई 2021 तक पांच हजार 172 मामले लंबित थे, जिनकी संख्या दिसंबर तक घट कर चार हजार 605 हो गयीं. यानी छह महीने में जमीन विवाद से जुड़े मामलों में सिर्फ 567 की कमी आयी है. अब भी चार हजार 605 मामले थाना से लेकर जिला स्तर पर लंबित पड़े हुए हैं. इनकी सुनवाई जल्द कर अधिकतम मामलों का निबटारा जल्द करने का आदेश दिया गया है.

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