legal marriage age: भारत सरकार ने पिछले दिनों महिलाओं के विवाह के उम्र को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला लिया. सरकार ने महिलाओं के विवाह की न्यूनतम कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने वाला बाल विवाह निषेध(संशोधन) विधेयक लोकसभा में पेश किया. ऐसे अब इस बिल को बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय सहस्रबुद्धे की अगुवाई वाली संसदीय स्थाई समिति को जांच के लिए भेजा गया है. ऐसे में आपको बता दें कि महिलाओं के लिए बनाए गए इस कानून की जांच करने वाली समिति में एक मात्र महिला सांसद शामिल हैं. तृणमूल सांसद सुष्मिता देव इस संसदीय पैनल की एकमात्र महिला सदस्य हैं जो बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक की जांच करेंगी.
राज्यसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस कानून के जांच के लिए जिस समिति का गठन हुआ है. उसमें 31 सदस्य हैं. सूची के अनुसार 31 सदस्यों में सुष्मिता देव अकेली महिला हैं. वहीं, सांसद सुष्मिता देव ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि काश समिति में और महिला सांसद होतीं. हालांकि उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी हित समूहों की बातें सुनी जाए.
आपको बता दें कि महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाने वाला यह विधेयक पहले से ही विवादों में है. कई सांसदों ने इस विधेयक को कई व्यक्तिगत कानूनों का उल्लंघन बताते हुए विरोध किया है. दरअसल इस विधेयक से सात व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन होगा. जिसमें भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम; मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम समेत दूसरे विवाह अधिनियम शामिल हैं.
वहीं, इस कानून के पक्ष में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि इस संशोधन से पुरूषों और महिलाओं दोनों को 21 साल की उम्र में शादी की अनुमति मिलेगी. उन्होंने विरोध करने वालों को जवाब देते हुए कहा कि शोध से पता चलता है कि 21 लाख बाल विवाह को रोकना पड़ा और कई कम उम्र की लड़कियां गर्भवती पाई गईं. इसलिए आप समानता के अधिकार को रोक रहे हैं.