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किस्सा नेताजी का : बरेली में हामिद रजा खां ने निर्दलीय चुनाव जीतकर रचा था इतिहास, जीता था रुहेलखंड का दिल

भोजीपुरा विधानसभा से 1977 में निर्दलीय चुनाव लड़ा. उनके सामने कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री भानुप्रताप सिंह थे. हामिद रजा खां ने 17917 वोट लिए जबकि भानु प्रताप सिंह को 16750 वोट मिले. वह करीब 1200 वोट से जीत दर्ज कर विधायक बन गए थे.

Bareilly News: रूहेलखंड की सियासत में हामिद रजा खां का बड़ा नाम था. उन्होंने पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी. उस समय तक रुहेलखंड में निर्दलीय जीत का परचम फहराने वाले पहले विधायक थे. उन्होंने भोजीपुरा विधानसभा से 1977 में निर्दलीय चुनाव लड़ा. उनके सामने कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री भानुप्रताप सिंह थे. हामिद रजा खां ने 17917 वोट लिए जबकि भानु प्रताप सिंह को 16750 वोट मिले. वह करीब 1200 वोट से जीत दर्ज कर विधायक बन गए थे.

तीन बार केंद्र में मंत्री भी बनेेे

इसके बाद 1980 के चुनाव में कांग्रेस के भानुप्रताप सिंह ने जीत दर्ज की थी.वह कांग्रेस की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी संतोष कुमार गंगवार को चुनाव हराया था.मगर, संतोष गंगवार विधायक का चुनाव हारने के बाद 1989 में बरेली लोकसभा के सांसद बने थे.वह वर्तमान में भी सांसद हैं, जबकि तीन बार केंद्र में मंत्री भी बन चुके हैं. बहेड़ी विधानसभा सीट से अम्बा प्रसाद ने निर्दलीय जीत दर्ज कर दूसरे निर्दलीय विधायक बनने का रिकॉर्ड कायम किया.मगर, 1989 के विधानसभा चुनाव में बहेड़ी विधानसभा सीट से मंजूर अहमद और फरीदपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से सियाराम सागर ने निर्दलीय जीत दर्ज की.मगर, इसके बाद बरेली में कोई भी विधायक निर्दलीय नहीं चुना गया.

सपा ने शहजिल को दिया था समर्थन

विधानसभा चुनाव-2002 में कैंट विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी में पूर्व विधायक इस्लाम साबिर को टिकट दिया था.उन्होंने डमी के रूप में अपने बेटे शहजिल इस्लाम का भी नामांकन कराया था.इस चुनाव में इस्लाम साबिर का नामांकन निरस्त हो गया.जिसके चलते उनके बेटे शहजिल इस्लाम को चुनाव लड़ना पड़ा. उस वक्त निर्दलीय प्रत्याशी शहजिल इस्लाम को सपा ने समर्थन कर दिया था. उन्होंने चुनाव जीतकर सबसे कम उम्र में विधायक बनने का रिकॉर्ड कायम किया था.

भोजीपुरा से पहले विधायक बने थे बाबूराम

बरेली लोकसभा क्षेत्र की (120) विधानसभा भोजीपुरा क्षेत्र में पहला चुनाव 1957 हुआ था. इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बाबूराम चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. पिछले पांच विधानसभा चुनावों में दो बार भाजपा और एक-एक बार सपा, बसपा और आईएमसी को जीत हासिल हुई थी. 2017 के चुनाव में इस सीट से भाजपा के बहोरन लाल मौर्य ने सपा के शाहजिल इस्लाम को 27764 वोट से हराकर विधायक बने. 1996 में भी बहोरन लाल मौर्य बीजेपी के टिकट पर विधायक बने थे. किसी पार्टी का दबदबा न होना के कारण हर चुनाव में यहां कांटे की टक्कर होती है. 2022 का चुनाव भी काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है. यहां भाजपा का खाता राममंदिर लहर के बाद खुला था. यहां से भाजपा के कुंवर सुभाष पटेल ने जीत दर्ज की थी.

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रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद

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