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मध्य प्रदेश में वन मेले से ग्रामीणों को रही जबर्दस्त कमाई, आर्थिक हालत में हो रहा तेजी से सुधार, जानें कैसे?

साल 2021 के अंतरराष्ट्रीय वन मेले में करीब 300 स्टॉल लगाए गए. इसमें लोगों की अच्छी सहभागिता देखी गई. 'वनोपज से स्वास्थ्य सुरक्षा' विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन ऑनलाइन थाईलैंड, दिल्ली और कोलकाता के उच्च संस्थानों के विषय-विशेषज्ञों ने भागीदारी निभाई.

भोपाल : क्या कभी आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि वन मेले से भी किसी की मोटी कमाई हो सकती है? मगर, यह सच है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह सरकार की ओर से आयोजित वन मेले से वहां के ग्रामीणों की जबर्दस्त कमाई हो रही है और उनकी आर्थिक हालत में तेजी से सुधार हो रहा है.

बता दें कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले 22 दिसंबर को भोपाल के लाल परेड मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वन मेले का शुभारंभ किया. इस मौके पर वन मंत्री डॉ कुंवर विजय शाह ने कहा कि वनों पर आश्रित वनवासियों की आजीविका एवं जड़ी-बूटियों के संरक्षण के सघन प्रयासों की लोकप्रियता से मध्यप्रदेश का वन मेला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम पहचान बना चुका है.

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अंतरराष्ट्रीय वन मेला का आयोजन मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ की ओर से किया गया. मेले की थीम ‘लघु वनोपज से स्वास्थ्य सुरक्षा’ रखी गई. इसके आयोजन का मुख्य उद्देश्य वनोपज उत्पाद से जुड़े हितग्राहियों को बेहतर बाजार और वनोपज का अधिक से अधिक मूल्य दिलवाना है. इसमें भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका के विषय विशेषज्ञ आभासी तरीके से भागीदारी निभाई. अंतर्राष्ट्रीय मेले में वन विभाग की योजनाओं पर केंद्रित प्रदर्शनी लगाई गई है. मेले में दुर्लभ किस्म की जड़ी-बूटियाँ और वन समितियों एवं वन-धन केंद्रों द्वारा तैयार किये गए उत्पाद आम लोगों को उपलब्ध कराया गया.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में हर साल लघु वनोपज संघ की ओर से अंतरराष्ट्रीय वन मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश भर से लोग जड़ी-बूटियां एवं प्राकृतिक खाद्य पदार्थ लेकर आते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस वन मेले की शुरुआत 2011 में की थी. साथ ही, यहां क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का भी आयोजन होता है, जिसमें लाखों के कारोबारी समझौते पर हस्ताक्षर किए जाते हैं.

वन मेले में लगाए गए 300 स्टॉल

साल 2021 के अंतरराष्ट्रीय वन मेले में करीब 300 स्टॉल लगाए गए. इसमें लोगों की अच्छी सहभागिता देखी गई. ‘वनोपज से स्वास्थ्य सुरक्षा’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन ऑनलाइन थाईलैंड, दिल्ली और कोलकाता के उच्च संस्थानों के विषय-विशेषज्ञों ने लघु वनोपज के विभिन्न स्तरों पर होने वाले संरक्षण, संवर्धन, विपणन और औषधीय उपयोग के महत्व पर अनुभव साझा किये. स्थानीय विशेषज्ञ वैद्यों ने औषधीय पौधों की उपलब्धता और कोविड महामारी के उपचार एवं बचाव के तरीकों पर महत्वपूर्ण सुझाव दिये. कार्यशाला में घोषणा-पत्र का प्रारूप सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक आर.व्ही. खरे और प्रबंध संचालक पुष्कर सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया.

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अंतरराष्ट्रीय वन मेले में 13.5 करोड़ रुपये का हुआ कारोबार

दरअसल, इस अंरराष्ट्रीय वन मेले के पहले दिन की सेल 8 लाख रुपये और दूसरे दिन की सेल 15 लाख रुपये की रही. इस साल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में 13.5 करोड़ रुपये की जड़ी-बूटियों के कारोबार पर समझौता किया गया. दूर-दराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले जड़ी-बूटी विशेषज्ञों को यहां आकर न केवल असली जड़ी-बूटियों को बेचने का मौका मिलता है, बल्कि इस प्लेटफार्म के ज़रिये वे अन्य विक्रेताओं से भी मिल पाते हैं. इससे उन्हें एक्सपोज़र मिलता है. साथ ही बड़ी आयुर्वेदिक कंपनियां भी यहां आकर इन छोटे कुटीर उद्योग चलाने वालों से सामान आदि लेती हैं. मेले में मेले में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि, अयूर, डाबर, बैद्यनाथ जैसे बड़ी-बड़ी और अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेदिक कंपनियां भी भाग लेती हैं.

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