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हाईकोर्ट्स में समान न्यायिक संहिता लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका, शब्दों में एकरूपता लाने की अपील

याचिका में कहा गया है कि कई मामलों में विभिन्न उच्च न्यायालय जो शब्दावली इस्तेमाल करते हैं, उसमें एकरूपता नहीं है. इससे न केवल आमजन को, बल्कि कई मामलों में वकीलों एवं प्राधिकारियों को भी असुविधा होती है.

नई दिल्ली : देश के सभी उच्च न्यायालयों में समान न्यायिक संहिता लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस याचिका में सर्वोच्च अदालत से उच्च न्यायालयों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे मामलों का पंजीकरण करने और समान न्यायिक शब्दावली, वाक्यांशो एवं संक्षिप्त शब्दों का उपयोग करने के लिए समान संहिता अपनाने की दिशा में उचित कदम उठाएं. यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर की गई है.

याचिका में कहा गया है कि कई मामलों में विभिन्न उच्च न्यायालय जो शब्दावली इस्तेमाल करते हैं, उसमें एकरूपता नहीं है. इससे न केवल आमजन को, बल्कि कई मामलों में वकीलों एवं प्राधिकारियों को भी असुविधा होती है. इसमें कहा गया है कि एक ही प्रकार के मामलों में उपयोग की जाने वाली शब्दावली ही अलग नहीं है, बल्कि इन शब्दावलियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले संक्षिप्त शब्द भी अलग-अलग हैं.

याचिका में कहा गया है कि यह समझ से परे है कि जब सभी अदालतें एक ही कानून द्वारा शासित हैं, तो उनकी शब्दावली, प्रक्रिया, अदालत के शुल्क आदि में अंतर क्यों है? इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय न केवल मामले पंजीकृत करते समय अलग-अलग नियमों एवं प्रक्रियाओं को अपनाते और अलग-अलग न्यायिक शब्दावलियों, वाक्यांशों और संक्षिप्त शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, बल्कि शुल्क में भी समानता नहीं है, जो कानून के शासन और न्याय के अधिकार के विरुद्ध है.

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अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि देशभर में सभी 25 उच्च न्यायालय विभिन्न मामलों की पहचान करते हुए अलग-अलग वाक्यांशों का इस्तेमाल करते हैं. इससे अधिवक्ताओं और अधिकारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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