Tulsi Pujan Diwas 2021: हिंदू धर्म में तुलसी पूजन की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भारत में आज यानी 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाई जाती है. इस प्रथा की शुरुआत साल 2014 से हुई और इस दौरान देश के कई केंद्रीय मंत्रियों और संतों ने तुलसी पूजा के महत्व का बखान सोशल मीडिया के द्वारा किया. तभी से 25 दिसंबर 2021 को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाने लगा.
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ऐसी मान्यता है कि तुलसी के पौधे के पास किसी भी मंत्र-स्तोत्र आदि का पाठ करने से उसका अनंत गुना अधिक फल मिलता है.
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भूत, प्रेत, पिशाच, ब्रह्मराक्षस, दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते हैं.
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तुलसी पूजन से बुरे विचारों का नाश होता है.
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पद्मपुराण के अनुसार तुलसी पत्ते से टपकता हुआ जल यदि मनुष्य अपने सिर पर लगता है तो इतना करने भर से उस मनुष्य को गंगास्नान और 10 गोदान का फल मिल जाता है.
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तुलसी पूजन से रोग नष्ट हो जाते हैं और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है.
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तुलसी पूजन, तुलसी रोपण व तुलसी धारण से पाप नष्ट होते हैं.
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तुलसी पूजन स्वर्ग और मोक्ष के द्वार खोलता है.
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श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला होता है.
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तुलसी के नाम उच्चारण मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति होती है. मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.
आपने गौर किया होगा तो ऐसा जरूर देखा होगा कि कई बार तुलसी के पौधे को चाहे कितना भी पानी दे दें और देखभाल कर लें, लेकिन पौधा अचानक मुरझाने लगता है. धार्मिक मान्यता कि बात करें तो यह परिवार पर किसी तरह का संकट आने की संभावना की ओर ईशारा करता है. शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है कि यदि घर-परिवार पर कोई संकट आने वाला होता है तो सबसे पहले उस घर से लक्ष्मी यानि तुलसी चली जाती है और वहां दरिद्रता आने लगती है.
जिस घर में दरिद्रता, अशांति और कलह का वातावरण होता है वहां कभी भी लक्ष्मी का वास नहीं होता. ज्योतिष के अनुसार ऐसा बुध ग्रह की वजह से होता है क्योंकि बुध का रंग हरा होता है और वह पेड़-पौधों का भी कारक माना जाता है. अच्छे प्रभाव में जहां पेड़-पौधे अच्छी तरह से बढ़ने लगते हैं वहीं बुरे प्रभाव में मुरझा जाते हैं. तुलसी के पौधे की अच्छी वृद्धि या पौधे का मुरझाना को भी ऐसा ही माना जाता है.