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नक्सलियों का फरमान, गुमला-लोहरदगा के सीमावर्ती जंगलों में ना घुसे ग्रामीण, इन चीजों पर भी लगायी रोक

jharkhand news: नक्सलियों ने गुमला व लोहरदगा के सीमावर्ती गांव के जंगलों में ग्रामीणों को जाने पर रोक लगा दी है. साथ ही पशुओं को चराने और वनोत्पाद के उपयोग पर मनाही की गयी है. कारण है पुलिस को क्षति पहुंचाने के लिए नक्सलियों ने जंगलों में कई जगहों पर IED बम लगा रखा है.

Jharkhand news: भाकपा माओवादी के नक्सलियों ने ग्रामीणों को जंगल में घुसने और वनोत्पाद के उपयोग पर रोक लगा दिया है. यहां तक कि मवेशियों को भी लेकर जंगल में नहीं घुसना है. यह फरमान 15 दिन पहले नक्सलियों ने गुमला के बिशुनपुर और लोहरदगा जिला के पेशरार प्रखंड के सीमावर्ती गांव में जारी किया है. नक्सलियों के फरमान के बाद 15 दिनों से एक दर्जन से अधिक गांव के लोग जंगलों में नहीं घुस रहे हैं. सिर्फ जंगल से गुजरनी वाली रास्ता का उपयोग ग्रामीण कर रहे हैं. जंगल में पशु चराने, बीड़ी पत्ता तोड़ने, लकड़ी चुनने, दतुवन, पत्ता और बांस तोड़ने सहित अन्य वनोत्पाद के लिए जंगल में नहीं घुस रहे हैं.

इस कारण फरमान जारी किया

पुलिस सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों का मूवमेंट अभी गुमला के बिशुनपुर के अलावा लोहरदगा के पेशरार और सेरेंगदाग थाना के सीमावर्ती गांव से सटे जंगलों में है. नक्सलियों के खिलाफ 15 दिनों से इस इलाके में पुलिस का ऑपरेशन चल रहा है. कोबरा बटालियन, सीआरपीएफ, गुमला औार लोहरदगा जिला की पुलिस लगातार नक्सलियों को खोज रही है. इसलिए नक्सलियों ने अपनी सुरक्षा व पुलिस को नुकसान पहुंचाने के लिए गांव से सटे जंगलों में IED बम बिछाकर रखा है, ताकि सुरक्षा बल और पुलिस जंगल में घुसे, तो नक्सली उन्हें नुकसान पहुंचा सके.

इन गांव के जंगलों में रोक है

गुमला जिला के बिशुनपुर प्रखंड के कटिया, जमटी, जुड़वानी और कठठोकवा गांव के अलावा लोहरदगा के पेशरार प्रखंड स्थित दुंदरू, हेसाग, जुड़नी, चप्पाल सहित एक दर्जन से अधिक गांव से सटे जंगलों में नक्सलियों ने ग्रामीणों के घुसने पर रोक लगा रखा है. डर से ग्रामीण कुछ बताने को तैयार नहीं है. बताया जा रहा है कि 15 दिन पहले नक्सलियों ने घूम-घूमकर गांव में बैठक कर ग्रामीणों को जंगल में जाने से मना किया है.

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50 गांव में भी फरमान जारी किया था

नक्सलियों ने चैनपुर व गुमला प्रखंड के करीब 50 गांवों में भी एक साल पहले इसी प्रकार का फरमान जारी किया था. यहां भी जंगल में ग्रामीणों के घुसने पर रोक लगा दिया गया था. लेकिन, कुरूमगढ़ इलाके में सुरक्षा बलों ने जंगलों में घुसकर दर्जनों IED बम को निष्क्रिय किया था. इसके बाद कोचागानी जंगल में माओवादी के शीर्ष नेता 15 लाख के इनामी बुद्धेश्वरा उरांव को मुठभेड़ में मार गिराया था. पुलिस द्वारा कई जंगलों से IED बम को निष्क्रिय करने के बाद अब ग्रामीण जंगल में घुस रहे हैं.

ग्रामीण और पुलिस को ये नुकसान हो चुकी है

जंगलों में IED बम बिछाये जाने के कारण अबतक 6 ग्रामीण बम की चपेट में आकर मर चुके हैं. जबकि एक दर्जन ग्रामीण और दो पुलिस कर्मी घायल हो चुके हैं. वहीं, दर्जनों मवेशियों की मौत हो चुकी है. कुरूमगढ़ इलाके में करीब 8 माह तक लोग जंगलों में बिछे IED बम से परेशान रहे थे.

नक्सलियों के फरमान पर पुलिस की है नजर : सदानंद सिंह

इस संबंध में बिशुनपुर थाना प्रभारी सदानंद सिंह ने कह कि गुमला एसपी के निर्देश पर नक्सलियों के खिलाफ अभियान चल रही है. नक्सलियों की गतिविधि की जानकारी ले रहे हैं. जहां IED बम लगाया गया है. उसे खोजकर निष्क्रिय किया जा रहा है. जुड़वानी गांव में कैंप लगाकर नक्सलियों द्वारा ग्रामीणों को फरमान जारी किया गया है. पुलिस ग्रामीणों को बचाने में लगी हुई है.

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रिपोर्ट: दुर्जय पासवान, गुमला.

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