बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा ने कर्नाटक धर्म स्वातंत्र्य अधिकार संरक्षण विधेयक, 2021 (The Karnataka Right to Freedom of Religion Bill, 2021) को बृहस्पतिवार को पास कर दिया. बिल के पारित होने के बाद कर्नाटक के मंत्री डॉ अश्वथनारायण ने कहा कि बहुप्रतीक्षित इस बिल के पास हो जाने के बाद अब पारदर्शिता को बढ़ावा देगी और जवाबदेही तय होगी.
डॉ अश्वथनारायण ने कहा कि वर्तमान में धर्मांतरण की वजह से जो चुनौतियां पेश आ रही हैं, इस बिल के पारित होने से उनसे निपटने में मदद मिलेगी. इसकी वजह से समाज में सौहार्द की स्थापना होगी. विपक्षी दलों कांग्रेस एवं जनता दल सेक्युलर के भारी हंगामे के बीच भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस बिल को पारित करवा लिया.
कर्नाटक सरकार के विधि मंत्री जेसी मधु स्वामी (JC Madhu Swamy) ने इस बिल को विधानसभा में पेश किया. उन्होंने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि ईसाई समुदाय को निशाना बनाने के इरादे से यह बिल लाया गया है. मधु स्वामी ने कहा कि सभी धर्मों के लोगों को संरक्षण देने के लिए यह बिल लाया गया है.
कर्नाटक के विधि मंत्री ने कहा कि अगर कोई स्वेच्छा से अपना धर्म बदलना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है. इसके लिए वह पहले डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को आवेदन देगा और उसके बाद धर्मांतरण करेगा. अगर किसी का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता है, तो यह अपराध माना जायेगा. उन्होंने कहा कि इस कानून की परिकल्पना प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने की थी.
विधानसभा में कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने सदन में बिल का विरोध किया. साथ ही उन्होंने कहा कि पैसे की लालच में किसी ने धर्म परिवर्तन नहीं किया. उन्होंने तथ्यों के आधार पर ईसाईयों की बढ़ती आबादी के दावों को खारिज किया. वर्ष 2001 की जनगणना का हवाला देते हुए सिद्दारमैया ने कहा कि राज्य में 83.86 फीसदी हिंदू हैं, जबकि 12.3 फीसदी मुस्लिम और सिर्फ 1.91 फीसदी ईसाई समुदाय के लोग हैं.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना में हिंदुओं की संख्या 84 फीसदी हो गयी. मुस्लिमों की आबादी 12.92 फीसदी और ईसाईयों की आबादी घटकर 1.87 फीसदी रह गयी. यह सरकारी आंकड़ा है. उन्होंने पूछा कि कहां हिंदुओं की आबादी घटी? लेकिन, ईसाईयों की आबादी में कमी आयी है.
धर्मांतरण रोकने के लिए लाये गये इस बिल में धर्म परिवर्तन करने या कराने वाले पर लगाये जाने वाले भारी-भरकम जुर्माने की वजह से इसकी आलोचना हो रही है. कानून में सामान्य वर्ग के लोगों के धर्मांतरण पर 5 साल जेल और 25 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान किया गया है. वहीं, महिलाओं, बच्चों और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों का धर्मांतरण करने या कराने पर 10 वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये के जुर्माना का प्रावधान किया गया है.
कर्नाटक के विधि मंत्री ने कहा है कि अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करता है, तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है. उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. हां, उसे धर्म परिवर्तन के लिए बनायी गयी प्रक्रिया का पालन करना होगा. अगर कोई प्रक्रिया को दरकिनार करके धर्म परिवर्तन करता है, तो उसको कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.
Posted By: Mithilesh Jha