जहरीले कीटनाशक और खाद वाली खेती छोड़ने के लिए की गयी प्रधानमंत्री की अपील हजारीबाग जिले में रंग लाने लगी है. हजारीबाग जिले के 15 से 20 हजार किसान जैविक खेती से जुड़ चुके हैं. अवतार डेवलपमेंट फाउंडेशन के निदेशक पवन कुमार गुप्ता ने बताया कि हजारीबाग के किसानों का झुकाव अब रसायनिक खेती की अोर हो रहा है. उसके नुकसान को भी किसानों के बीच रखा गया. सभी किसानों ने माना कि हमें धरती मां को बीमार बनाने का हक नहीं. इसके बाद किसानों का जैविक खेती की ओर झुकाव बढ़ गया है.
अवतार डेवलपमेंट फाउंडेशन के निदेशक पवन कुमार गुप्ता ने बताया कि हजारीबाग जिले के सदर प्रखंड के सखिया, बहेरी, सिलवार कला, अमनारी, कटकमसांडी के पबरा, बरगड्डा, बड़कागांव के चोपदार बलिया, कांडतरी, गोसाई बलिया, केरेडारी प्रखंड, चौपारण प्रखंड और बरही प्रखंड के भी कई गांवों में जैविक खेती कर रहे हैं.
किसान सिलवार कला निवासी कालेश्वर मेहता ने बताया कि जीवामृत विधि और वेस्ट डी कंपोजर विधि से खेती कर रहे हैं. रसायन खाद, रसायन कीटनाशक छोड़ने के बाद खेत भी पहले से अच्छे हो गये हैं. तीन साल में खेत पूर्ण रूप से जैविक खेत हो चुके हैं. किसान गोसाईबलिया निवासी अली रजा ने बताया कि जैविक खेती जब से कर रहे हैं.
लागत लगभग नहीं के बराबर लगती है और आमदनी भी दोगुनी हो गयी है. खेतों की मिट्टी में काफी तेजी से सुधार हुआ है. खेतों में केचुआ पुऩ: वापस आ गया है. पानी की खपत भी काफी कम हो गयी है. जो फसल तैयार हो रहे हैं. वह लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है. खाने में भी काफी स्वादिष्ट लगती है. ग्राम सखिया की महिला किसान अंजू देवी ने कहा कि महिला किसान भी अब जागरूक हो रही है और जैविक खेती को अपना रही है.