धनबाद : जलसंकट से निदान के लिए धनबाद जिला में 1034 करोड़ रुपये से अधिक की जलापूर्ति योजनाएं चल रही है. आठ मेगा जलापूर्ति योजनाओं में से दो लगभग पूर्ण है. इनमें से एक योजना से कुछ गांवों में जलापूर्ति हो रही है. शेष योजनाएं आधी-अधूरी है. सभी योजनाओं के क्रियान्वयन की गति अत्यंत धीमी है. कोई भी योजना समय पर पूर्ण नहीं हो पायी.
जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) से धनबाद जिला में अभी सात बड़ी जलापूर्ति योजनाओं का काम चल रहा है. इन योजनाओं के लिए 10.34 अरब रुपये स्वीकृत हुए हैं. इसमें से 833.17 करोड़ रुपये सिर्फ डीएमएफटी से खर्च हुए हैं. पर पिछले पांच वर्षों के दौरान केवल दो योजनाएं ही लगभग पूर्ण हुई है. इनमें से सिर्फ एक मेगा जलापूर्ति योजना बलियापुर वृहद जलापूर्ति योजना से कुछ ही गांवों में पानी दी जा रही है. वह भी आधे-अधूरे तरीके से.
बलियापुर वृहद जलापूर्ति योजना वर्ष 2016 में शुरू हुई थी. यह योजना वर्ष 2018 में ही पूर्ण होना था. सरकारी बोर्ड पर यह योजना पूर्ण भी हो चुकी है, लेकिन धरातल पर 74.53 करोड़ की इस योजना से 67 गांवों में से केवल दो गांव में ही जलापूर्ति हो रही है. इसी तरह निरसा-गोविंदपुर के लोगों के लिए 521 करोड़ रुपये की लागत से दो बड़ी मेगा जलापूर्ति योजनाएं चल रही है.
निरसा -गोविंदपुर उत्तर तथा निरसा-गोविंदपुर दक्षिण जलापूर्ति योजना. निरसा-गोविंदपुर उत्तर जलापूर्ति योजना में लगभग 50 फीसदी ही काम पूर्ण हुआ है, जबकि निरसा-गोविंदपुर दक्षिण जलापूर्ति योजना में लगभग 53 फीसदी काम. राइजिंग पाइप बिछाने का काम भी अपूर्ण है. घर-घर पाइपलाइन बिछाने का काम अब तक शुरू ही नहीं हो पाया है.
झरिया में जल संकट दूर करने के लिए 312 करोड़ रुपये की मेगा जलापूर्ति योजना चल रही है. वर्ष 2019 में शुरू इस योजना के तहत 400 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाना है. पुरानी पाइपलाइन को बदला जाना है. लेकिन, दो वर्षों में केवल 16 फीसदी काम ही पूर्ण हो पाया है. केवल 19 किलोमीटर पाइप ही बिछायी जा सकी है. उग्रवाद प्रभावित तोपचांची प्रखंड में मेगा जलापूर्ति योजना का काम वर्ष 2017 में शुरू हुआ था. इस योजना को भी दिसंबर 2019 में पूर्ण होना था. दिसंबर 2021 में भी योजना शुरू नहीं हो पायी. अभी ट्रायल चल रहा है. 27.46 करोड़ रुपये की इस योजना से 32 हजार की आबादी को लाभ मिलेगा. तीन जलमीनार बन चुके हैं.
डीएमएफटी से पिछले पांच वर्ष में आठ बड़ी मेगा जलापूर्ति योजनाओं का चयन हुआ. इनमें से सात योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की है. एक जलापूर्ति योजना जमाडा की देख-रेख में चल रही है. इन सात योजनाओं में निरसा-गोविंदपुर उत्तर क्षेत्र जलापूर्ति योजना, निरसा-गोविंदपुर दक्षिण क्षेत्र जलापूर्ति योजना, बलियापुर मेगा जलापूर्ति योजना, पत्थरगढ़ी-आसनबनी जलापूर्ति योजना, तोपचांची ग्रामीण जलापूर्ति योजना, बाघमारा जलापूर्ति तथा महुदा बस्ती ग्रामीण जलापूर्ति योजना शामिल है.
अनुमानत: 30 लाख से अधिक है जिले की आबादी वर्तमान में
चुआं, जोरिया, तालाब, नदी और खदान के पानी पर निर्भर हैं लोग
महिलाओं का आधा समय पानी जुगाड़ करने में ही बीत जाता है
धनबाद जिले की आबादी लगभग 27 लाख (2011 की जनगणना के अनुसार) है. हालांकि, पिछले एक दशक में आबादी बढ़ी ही है. यहां की आबादी अभी 30 लाख से अधिक अनुमानित है. यहां के अधिकांश इलाके में आज भी पाइपलाइन के जरिये जलापूर्ति नहीं हो रही है. 80 फीसदी से अधिक आबादी आज भी पीने से लेकर नहाने तक के लिए जोरिया, तालाब, खदानों के पानी पर निर्भर है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का आधा समय पानी के जुगाड़ में ही बीत जाता है.
योजना का नाम राशि
निरसा गोविंदपुर उत्तर क्षेत्र जलापूर्ति योजना 334 करोड़
निरसा-गोविंदपुर दक्षिण क्षेत्र जलापूर्ति योजना187.44 करोड़
झरिया जलापूर्ति योजना 312 करोड़
बलियापुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना74.53 करोड़
पत्थरगढ़ी-आसनबनी जलापूर्ति योजना 9.27 करोड़
तोपचांची ग्रामीण जलापूर्ति योजना 28.69 करोड़
बाघमारा ग्रामीण जलापूर्ति योजना 92.69 करोड़
महुदा बस्ती जलापूर्ति योजना 11.55 करोड़
Posted By : Sameer Oraon