रांची : झारखंड के किसान बदलाव के वाहक बन गये हैं. नये तरीके अपना कर स्वावलंबन की राह पर निकल पड़े हैं. नयी तकनीक और प्रयोग से उत्पादन बढ़ाकर जहां राष्ट्रीय पुरस्कार ग्रहण कर रहे हैं, वहीं राज्य को भी आत्मनिर्भर बना रहे हैं. यहां के किसान इ-नैम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किये जा रहे हैं. झारखंड के तरबूज की मिठास देश के कई राज्यों में फैल गयी है.
यहां के आम्रपाली आम की मांग दूसरे राज्यों में है. राज्य गठन के समय यहां करीब 14 लाख टन धान का उत्पादन खरीफ में होता था, यह 50 लाख टन के आसपास पहुंच गया है. खरीफ में करीब 20 लाख हेक्टेयर में खेती होने लगी है. यहां की सब्जियां देश के कई राज्यों में जाती हैं.
गढ़वा के अजय तिवारी का खेत समेकित खेती का बेहतरीन नमूना है. इनके खेत में फल, फूल और सब्जी के साथ-साथ पशुपालन भी हो रहा है. 2009 में आर्मी से रिटायर होने के बाद गढ़वा के पतरिया गांव निवासी अजय कुमार तिवारी ने डेयरी और खेती में अपना समय देना शुरू किया.
आज इनके खेतों में 500 आम, 300 पपीता और 200 अमरूद के अलावा लौंग, इलायची, काजू, बादाम, तेजपत्ता, आंवला, सागवान, महोगनी के हजारों पेड़ हैं. अजय तिवारी ने दो गायों से फौजी डेयरी की शुरुआत की थी. अभी इनकी डेयरी में दो दर्जन से अधिक गायें हो गयी हैं. हर दिन 100 लीटर दूध का उत्पादन होता है.
Posted By : Sameer Oraon