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Bihar News: पंडितों पर विवादित बयान के बाद जीतनराम मांझी की बढ़ी मुश्किलें, अदालत पहुंचा मामला

बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी का एक वीडियो रविवार को वायरल हुआ. जिसमें वो पंडितों पर आपमानजनक टिप्पणी करते नजर आएं. मांझी के देवी-देवताओं के लिए भी अभद्र भाषा के प्रयोग से विवाद बढ़ गया है.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान अवाम मोरचा (HAM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. हाल के दिनों में पंडितों पर जीतनराम मांझी की ओर से दिए गए विवादित बयान को लेकर उनके खिलाफ बिहार के तीन जिलों में परिवाद दर्ज कराया गया है. जीतनराम मांझी के विरुद्ध जाति विशेष के खिलाफ आपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने एवं सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए नालंदा, कटिहार और औरंगाबाद में परिवाद दर्ज कराया गया है.

सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता दिनेश पांडेय ने नालंदा के स्थानीय व्यवहार न्यायालय में मंगलवार को जीतनराम मांझी के खिलाफ जाति विशेष के विरुद्ध अपमानजनक शब्द का उपयोग करने को लेकर मुकदमा दर्ज कराया है. अधिवक्ता सुनील कुमार पांडेय के मुताबिक, 19 दिसंबर को अपने घर पर परिवार के साथ बैठकर टीवी देख रहे थे. इसी दौरान न्यूज में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का दिया गया भाषण ब्राडकास्ट हुआ. इसमें जाति विशेष के लोगों के विरुद्ध अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए सनातन धर्म पर कुठाराघात करते हुए जीतनराम मांझी का बयान दिखा.

इधर, कटिहार में पूर्व सीएम जीतनराम मांझी पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के अदालत में भारतीय जनता पार्टी, युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य महेद्र झा द्वारा परिवाद पत्र दायर किया गया है. दर्ज दायर में बताया गया कि पूर्व मुख्यमंत्री के बयान से जाति विशेष के लोगों को काफी ठेस पहुंचा है. वहीं, औरंगाबाद में व्यवहार न्यायालय में पैक्स अध्यक्ष कुमुद रंजन मिश्रा द्वारा भी जीतन राम मांझी पर परिवाद दायर कराया गया है. जानकारी के मुताबिक, इस पर कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होगी.

इन सबके बीच, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी की जुबान काटने वाले को 11 लाख रुपये देने का एलान करने वाले भाजपा नेता गजेंद्र झा को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. दरअसल, भाजपा ने गजेंद्र झा से पंद्रह दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा था, लेकिन गजेंद्र अपने बयान पर टिके रहे थे. बाद में पार्टी ने उनपर कार्रवाई करते हुए उन्हें बाहर करने का निर्णय सुनाया है. इधर, ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने भी ब्राह्मणों के विषय में इसी प्रकार का अनर्गल बयानबाजी की थी, बाद में उनका विनाश हो गया. अब पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के साथ भी विनाश काले विपरीत बुद्धि वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है.

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