Punjab Assembly elections 2022: पंजाब में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है यहां राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है. सभी पार्टियों ने जोर लगाना शुरू कर दिया है. इस बार पंजाब के राजनीतिक पटल पर बड़ा बदलाव हुआ है. कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच कांटे की टक्कर है तो वहीं, पंजाब के वर्तमान सीएम चन्नी पार्टी की गुटबाजी में फंसते नजर आ रहे हैं. इधर अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी आम आदमी पार्टी ‘केजरीवाल नू’ कैपेंन से खुद की चमक बढ़ाने की कोशिश में हैं. बता दें कि 2017 में आप पंजाब की मुख्य विपक्षी पार्टी बन कर उभरी थी.
2017 के उलट इस बार सिद्दू कैप्टन के सामने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी के तौर पर खड़े हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह की राजनीतिक चमक बढ़ाने में नवजोत सिंह सिद्दू का बहुत बड़ा हाथ रहा था. लेकिन वक्त का सितम अब कुछ और ही कहानी कह रहा है. इस बार पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सिद्दू ने चन्नी को कैप्टन के सामने खड़ा किया है. कांग्रेस ने पंजाब का पहला दलित मुख्यमंत्री चन्नी के रुप में दिया है. हालांकि पंजाब कांग्रेस में इस बार सबसे ज्यादा गुटबाजी देखी जा रही है.
इधर कैप्टन अमरिंदर का हाथ बीजेपी के साथ हैं. शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी का साथ छोड़ बहुजन समाज पार्टी का हाथ थाम लिया है. ऐसे में अब देखने वाली बात यह है कि जनता किसे पसंद करती है.
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2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पिछले कुछ सालों में पंजाब में आम आदमी पार्टी की चमक कम हुई है. लेकिन ‘एक मौका केजरीवाल नू’ कैपेंन से आप में नई जान आने की उम्मीद जग गई है. इस कैंपेन की गुंज पंजाब के कई क्षेत्रों में सुनाई दे रही है. माजा, माल्वा और दाओबा में इसका खास असर देखने को मिल सकता है. बता दें ये तीनों ही राजनीतिक दृष्टीकोण से खास क्षेत्र हैं क्योंकि माजा में पंजाब की 24 विधानसभा सीटें तो माल्वा में 67 सीटें तो वहीं दाओबा में 26 सीटें हैं.