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New Labour Codes : नये साल से कर्मचारियों को करना होगा 12 घंटे काम, घटेगी सैलरी, श्रम मंत्री ने दी ये जानकारी

नया श्रम कानून लागू हुआ तो कर्मचारियों की सैलरी से लेकर उनकी छुट्टियों और काम के तरीके में भी बदलाव आयेगा. कर्मचारियों को आठ घंटे की बजाय 12 घंटे काम करना होगा .

New Labour Code news: देश में नया श्रम कानून नये वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में लागू हो जायेगा. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी है कि अगले वित्तीय वर्ष में कर्मचारियों को सप्ताह में चार दिन ही काम करना होगा और तीन दिन की छुट्टी होगी.

सप्ताह में वर्किंग आवर 48 घंटे ही होगा

नया श्रम कानून लागू हुआ तो कर्मचारियों की सैलरी से लेकर उनकी छुट्टियों और काम के तरीके में भी बदलाव आयेगा. कर्मचारियों को आठ घंटे की बजाय 12 घंटे काम करना होगा लेकिन छुट्टी तीन दिन की होगी. वैसे श्रम मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सप्ताह में वर्किंग आवर 48 घंटे का ही होगा.

पीटीआई न्यूज के अनुसार केंद्र सरकार ने इन संहिताओं के तहत नियमों को पहले ही अंतिम रूप दे दिया है और अब राज्यों को अपनी ओर से नियम बनाने की आवश्यकता है क्योंकि श्रम पर दोनों को मिलकर काम करना होता है.

चार श्रम संहिता को 2022-23 के अगले वित्तीय वर्ष में लागू होने की संभावना है क्योंकि बड़ी संख्या में राज्यों ने इन पर मसौदा नियमों को अंतिम रूप दिया है. केंद्र ने फरवरी 2021 में इन संहिताओं पर मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है. लेकिन चूंकि श्रम एक समवर्ती विषय है, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य इसे एक बार में ही लागू करें.

इस संबंध में श्रम मंत्री भृपेंद्र यादव ने राज्यसभा में बताया कि व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता ही एकमात्र कोड है जिस पर कम से कम 13 राज्यों ने मसौदा नियमों को पहले ही प्रकाशित किया है और अब इनपर अन्य राज्यों को काम करना है.

नये श्रम कानून में इस बात का प्रावधान भी होगा कि जहां आठ घंटे काम किया जायेगा वहां एक दिन की छुट्टी होगी. नयी श्रम संहिता में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिससे ऑफिस में काम करने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों से लेकर मिलों और फैक्ट्रियों में काम कर वाले मजदूरों तक पर असर पड़ेगा.

इन हैंड सैलरी में होगी कटौती, पीएफ ज्यादा मिलेगा

विशेषज्ञों का कहना है कि नया श्रम कानून लागू होने से कर्मचारियों के मूल वेतन (बेसिक सैलरी) में कमी आयेगी, क्योंकि पीएफ की हिस्सेदारी ज्यादा कटेगी. इससे एक तरफ कर्मचारियों के पीएफ खाते में हर महीने का योगदान बढ़ जाएगा लेकिन हाथ में आने वाला वेतन (टेक होम सैलरी) घट जाएगा. नयी श्रम संहिता में भत्तों को 50 फीसदी पर सीमित रखा गया है. इससे कर्मचारियों के कुल वेतन का 50 फीसदी मूल वेतन हो जाएगा.

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