आगरा. कार मैकेनिक की नौकरी से ब्रज रत्न अवार्ड मिलने तक का यह फासला जिसने पूर्ण किया. आज उसके बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे. 18 साल की उम्र में कार मैकेनिक बने एक युवक ने अपनी संघर्ष की कहानी हमारे साथ साझा की, उनके संघर्ष में वह कार मैकेनिक के साथ फौज में उच्च पदों पर रहे और फिर मॉडलिंग और एक्टिंग में भी उन्होंने अपना योगदान दिया. 21 दिसंबर को आगरा में होने वाले ब्रज रत्न महोत्सव में उन्हें मॉडलिंग व एक्टिंग के लिए ब्रज रत्न अवार्ड से नवाजा जाएगा. प्रभात खबर के साथ जानिए क्या रहा कर्नल मनहर शर्मा के जीवन में खास…
दरअसल, 2016 में ब्रज रत्न अवार्ड की शुरुआत इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन ने की थी. 10 विधाओं में यह ब्रज रत्न अवॉर्ड दिया जाता है. और इसमें अब तक फाउंडेशन की तरफ से 52 लोगों को अवार्ड दिया जा चुका है. वहीं इस बार 21 दिसंबर को आगरा में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा नामित किए गए 11 लोगों को इस अवार्ड से अलंकृत किया जाएगा.
ब्रज रत्न अवार्ड के लिए नामित किए गए सभी 11 लोगों को किसी ना किसी क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए यह अवार्ड दिया जा रहा है. वहीं हमने इसी अवार्ड के लिए नामित हुए कर्नल मनोहर शर्मा जोकि अभिनेता और मॉडल है. उनसे जाना कि उनकी जीवन की शुरुआत कहां से हुई और आज जब उन्हें अवार्ड मिल रहा है तो वह क्या कहते हैं.
प्रभात खबर से खास बातचीत में रिटायर्ड कर्नल मनहर शर्मा ने बताया कि उनके पिताजी स्व. कौशल किशोर शर्मा आगरा में प्रताप पुरा चौराहे पर स्थित श्री गोपाल मोटर्स में मैनेजर का कार्य करते थे जिनकी असमय उनकी मृत्यु हो गई. जिसके बाद उन्होंने 18 साल की उम्र में श्री गोपाल मोटर्स में ही मैकेनिक के तौर पर नौकरी करना शुरू किया. यहाँ पर वह एम्बेसडर कार सही किया करते थे. उन्होंने बताया कि मैकेनिक का काम करते हुए उन्हें आत्म संतोष नहीं मिल रहा था, इसके लिए उन्होंने आर्मी में जाने के लिए मन बनाया और 1967 में वे आर्मी में भर्ती हुए व 1969 में उन्हें सेकंड लेफ्टिनेंट के पद पर कमीशन मिला.
रिटायर्ड कर्नल मनहर शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी सर्विस के दौरान बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच हुई 1971 की जंग में भी अपना योगदान दिया. जंग के समय का एक किस्सा शेयर करते हुए वह बताते हैं कि जब इंडियन एयर फोर्स आर्मी ने पाकिस्तान की आर्मी पर हमला शुरू किया तो दो पाकिस्तानी काली गंज के पास स्थित एक तालाब में छिप गए. चेकिंग के दौरान जब उन दोनों को देखा गया तो उन्हें पकड़कर मेरे पास लाया गया. वह दोनों पाकिस्तानी आर्मी में पंजाब रेजिमेंट के सैनिक थे. तालाब में छुपे रहने की वजह से वह ठंड से कांप रहे थे तब मैंने उन्हें चाय नाश्ते के लिए पूछा, इस दौरान जब मैंने उनसे सवाल किया कि अगर तुम लोग हमें पकड़ लेते तो क्या करते, तो उन्होंने सीधा जवाब दिया और कहा कि हम तुम्हें काट देते. यह सुनकर मेरे होश फाख्ता हो गए. लेकिन क्योंकि हम भारत देश से ताल्लुक रखते हैं और हमेशा संस्कारों में जीते हैं. इसीलिए उनकी बात को हमने अनदेखा कर दिया और फिर भी उनकी मदद कर, उन्हें उच्च अधिकारियों को सौंप दिया.
रिटायर्ड कर्नल मनहर शर्मा ने बताया की 1971 की जंग के समय कई बार उन्होंने पाकिस्तानी आर्मी की क्रूरता को इस तरह से देखा कि एक बारगी उनके रोंगटे खड़े हो गए. उन्हें लगा कि आर्मी में नौकरी तो हम भी करते हैं, लेकिन पाकिस्तान की आर्मी जिस तरह से लोगों के साथ क्रूरता करती है वह शायद ही इंडियन आर्मी ने कहीं और देखा होगा.
रिटायर्ड कर्नल मनहर शर्मा ने बताया कि 1968 से 2001 तक वह आर्मी में रहे और बतौर कर्नल वह रिटायर हो गए. जिसके बाद उनके सामने यह गंभीर स्थिति आ गई कि अब वह क्या करेंगे. क्योंकि उनका कहना है की एक फौजी जिंदगी भी फौजी की तरह बिताता है चाहे वह फौज में रहे या ना रहे. उन्होंने बताया कि रिटायरमेंट के बाद एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ अपने बेटे का पोर्टफोलियो कराने के लिए नोएडा गए थे. जो कैमरामैन उनके बेटे का पोर्टफोलियो कर रहा था उस कैमरामैन ने उनसे कहा कि आप भी अपना पोर्टफोलियो बनवा लीजिए तो उन्होंने मना कर दिया. लेकिन उनकी पत्नी के बार बार दबाव डालने के बाद उन्होंने अपना पोर्टफोलियो बनवा लिया. जैसे ही उनका पोर्टफोलियो इंटरनेट पर डाला गया उसके बाद उन्हें लगातार कई सारे प्रोडक्शन हाउसेस से फोन आने लगे. उन्हें लगातार कई रोल ऑफर किए जाने लगे. बस यहीं से उन्होंने सोचा कि अब रिटायरमेंट के बाद मेरा गोल निर्धारित हो गया है और अब मैं मॉडलिंग और एक्टिंग करूंगा. जिसके बाद उन्होंने करीब 300 कमर्शियल ऐड में काम किया और बॉलीवुड की एक मूवी यंगिस्तान में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया का रोल भी किया.
रिटायर्ड कर्नल मनहर शर्मा द्वारा किए गए प्रमुख कमर्शियल एड
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रिटायर्ड कर्नल मनहर शर्मा ने बताया कि उन्हें ब्रज रत्न अवार्ड के लिए चुना गया है. और 21 दिसंबर को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल के हाथों वह अवार्ड उन्हें दिया जाएगा. इस अवार्ड के मिलने की जानकारी मिलने के बाद से ही वह बहुत ही ज्यादा उत्साहित और खुश हैं. उनका कहना है कि मैं उस समिति का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने मुझे इस अवार्ड के काबिल समझा. साथ ही मुझे इस बात की भी खुशी है कि अब तक जो भी कुछ मैंने अपने जीवन में किया आज मुझे कहीं ना कहीं उसका मुकाम मिलने वाला है.
रिपोर्ट : राघवेन्द्र सिंह गहलोत