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RSS चीफ मोहन भागवत बोले- भारत को नीचा दिखाने वालों से रहें सतर्क, संघ को अभी करना है बहुत काम

RSS Pramukh Mohan Bhagwat राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को कांगड़ा में आयोजित मंडल-बस्ती एकत्रीकरण कार्यक्रम में कहा कि केवल मुट्ठी भर देश विरोधी लोग संघ का विरोध कर रहे हैं. ऐसे लोग व संगठन अपना अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी स्तर पर उतरकर अपना जोर लगा रहे हैं.

RSS Pramukh Mohan Bhagwat राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को कांगड़ा में आयोजित मंडल-बस्ती एकत्रीकरण कार्यक्रम में कहा कि केवल मुट्ठी भर देश विरोधी लोग संघ का विरोध कर रहे हैं. ऐसे लोग व संगठन अपना अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी स्तर पर उतरकर अपना जोर लगा रहे हैं.

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत को नीचा दिखाने वाले लोगों से सतर्क रहना होगा. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की मंशा पूरी नहीं होने पर वे हर स्तर पर देश को डुबाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस संघ के पास न तो राजनीतिक शक्ति और न ही आर्थिक संपदा के साधन थे, आज वही संघ विश्व का सबसे बड़ा संगठन बनकर उभरा है. आरएसएस कार्यकर्ताओं को कछुए-खरगोश की कहानी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस दौड़ में कछुए की ही जीत होती है.

मोहन भागवत ने कहा कि समय-समय पर संघ पर कई तरह के हमले हुए और इस दौरान कई हत्याएं भी हुईं. लेकिन, कार्यकर्ताओं ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने कहा कि ऐसे अत्याचार यदि किसी अन्य संगठन पर हुए होते, तो पांच वर्षों में खत्म हो जाता. आगे और भी खतरे की आशंका जाहिर करते हुए उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि हमें सजग रहना होगा और संघ के स्वभाव को नहीं छोड़ना है.

संघ प्रमुख ने कहा कि 2025 में संघ के सौ वर्ष पूरे हो जाएंगे. संघ को कड़ी मेहनत करते हुए हमें इस दौरान 130 करोड़ लोगों तक पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि देश में पौने सात लाख गांव हैं और संघ की शाखाएं साठ हजार स्थानों पर हैं. अभी भी छह लाख स्थान पर पहुंच बनाने की जरूरत है और इस कारण हमें अभी बहुत काम करना है.

ऑनलाइन शाखाएं चलाने के संबंध में अपनी बात रखते हुए मोहन भागवत ने कहा कि ऑनलाइन शाखाओं में सुन तो सकते हैं, लेकिन संघ के संस्कार नहीं सीख सकते. इसके लिए हर रोज कार्यकर्ताओं को एक साथ मिलना पड़ेगा. संघ के विस्तारीकरण के लिए समय देना होगा. उन्होंने कहा कि कम से कम एक घंटा नियमित शाखा में आइए.

मोहन भागवत ने कहा कि संघ प्रचार से नहीं, अपितु स्वयंसेवी के जीवन से बढ़ता है. संघ में सब हिंदू अपने हैं. जिस भरोसे से यहां तक पहुंचे हैं, उसे मत छोड़ें और शाखा की साधना में जुड़ जाएं. उन्होंने कहा कि पद, मान, प्रतिष्ठा कुछ नहीं चाहिए. अपना तन, मन, जीवन समर्पित करना चाहता हूं, ताकि देश की धरती को कुछ और भी दे सकूं. कांगड़ा में आयोजित कार्यक्रम से पहले मोहन भागवत ने मां बज्रेश्वरी मंदिर में माथा टेका.

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