Jharkhand News: पलामू सांसद बीडी राम ने 15 दिसंबर को लोकसभा में अधूरी बरवाडीह-चिरीमिरी रेल परियोजना का मामला उठाया था. नियम-377 के तहत इस मामले को उठाते हुए सांसद श्री राम ने कहा कि इस रेलवे परियोजना में कई किलोमीटर तक रेलवे लाइन बिछाने का कार्य भी किया गया है और इसमें कई करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन कई वर्ष पुरानी इस परियोजना का काम बंद हो चुका है. उन्होंने कहा कि अगर इस परियोजना में फिर से काम प्रारंभ किया जाये तो न सिर्फ पलामू बल्कि छत्तीसगढ़ व बिहार के कई जिलों के लोगों को रेल यात्रा में सुविधा होगी.
जानकारी के अनुसार ब्रिटिश काल में वर्ष 1942 में बरवाडीह-चिरीमिरी लाइन परियोजना का कार्य शुरू हुआ था. जमीन का अधिग्रहण कर रेलवे लाइन बिछाने का कार्य भी किया गया था. चिरीमिरी से विश्रामपुर तक 129 किलोमीटर रेलखंड वर्ष 1962 से परिचालन में है. विश्रामपुर से अंबिकापुर तक 19 किलोमीटर रेल लाइन भी पूरी कर ली गयी है, लेकिन अंबिकापुर से बरवाडीह तक 182 किलोमीटर की रेल लाइन के निर्माण का कार्य पूरा नहीं किया जा सका. आपको बता दें कि रेल मंत्रालय ने इस रेल लाइन को अव्यावहारिक एवं अलाभप्रद मानकर इसके निर्माण को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. पूर्व में तत्कालीन सांसद इंदर सिंह नामधारी ने भी इस रेल परियोजना को पूरा कराने की मांग संसद में उठायी थी.
योजना आयोग ने इस रेल परियोजना को शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी दी थी. हालांकि इसके लिए योजना आयोग ने दो शर्तें रखी थीं. पहला, राज्य सरकार को रेलवे लाइन निर्माण के लिए जमीन नि:शुल्क देनी होगी और दूसरा इसका निर्माण पीपीपी मोड के तहत सीसीएल एवं अन्य कंपनियों के सहयोग से ज्वाइंट वेंचर के रूप में कराया जायेगा. योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने इसकी जानकारी तत्कालीन चतरा सांसद इंदर सिंह नामधारी को अपने पत्रांक डीओ नंबर 7/46/2012 टीपीटी/डीसीएच/11/12/सीडी-521 के माध्यम से दी थी. इसके बाद लोगों को लगा था कि इस रेल लाइन का निर्माण कार्य फिर से प्रारंभ किया जायेगा, लेकिन आज तक इस महत्वाकांक्षी रेल परियोजना पर कार्य प्रारंभ नहीं हो सका.
रिपोर्ट: आशीष टैगोर