केंद्रीय कैबिनेट ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है. यह जानकारी सामने आने के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक ट्वीट किया.
हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने ट्वीट में मोदी सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है और लिखा कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में यह महत्वपूर्ण फैसला है. लेकिन कुछ देर के बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने वह ट्वीट डिलीट कर दिया.
Assam CM Himanta Biswa Sarma now deletes his tweet on increasing the age bar for the marriage of girls from 18 years to 21 years. pic.twitter.com/S2a6eUFuGP
— ANI (@ANI) December 16, 2021
गौरतलब है कि कल केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई थी. बैठक की ब्रीफिंग के दौरान लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल किये जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी थी, लेकिन आज सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आयी कि सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
पीटीआई न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के अनुसार यह जानकारी दी है कि सरकार बाल विवाह (रोकथाम) अधिनियम, 2006 को संशोधित करने संबंधी विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ला सकती है.
यह प्रस्तावित विधेयक विभिन्न समुदायों के विवाह से संबंधित पर्सनल लॉ में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रयास कर सकता है ताकि विवाह के लिए आयु में एकरूपता सुनिश्चित की जा सके. मौजूदा कानूनी प्रावधान के तहत लड़कों के विवाह लिए न्यूनतम आयु 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित है.
विवाह से जुड़ी न्यूनतम आयु में एकरूपता लाने का यह निर्णय उस समय किया गया है जब इससे एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार इस बारे में विचार कर रही है कि महिलाओं के लिए न्यूनतम आयु क्या होनी चाहिए.
समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली की अध्यक्षता गठित टीम ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने की सिफारिश की है और उसी के आधार पर यह प्रस्ताव तैयार किया गया है. इस निर्णय के बारे में जया जेटली ने कहा कि दो प्रमुख कारणों पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
जया जेटली ने कहा कि जब प्रत्येक क्षेत्र में लैंगिक समानता और सशक्तीकरण की बात की जाती है तो फिर विवाह जैसे महत्वपूर्ण फैसले में इसे क्यों नहीं लागू किया जाये. यह बहुत ही विचित्र बात है कि लड़की 18 साल की आयु में शादी के योग्य हो सकती है, जबकि इस कारण उसके कॉलेज जाने का अवसर खत्म हो जाता है. दूसरी तरफ, लड़के के पास अपने जीवन और जीविका के लिए तैयार होने का 21 साल की आयु तक अवसर होता है.
जया जेटली ने बताया कि हमने विभिन्न वर्ग और धर्म के युवाओं से बात करने के बाद ही यह सिफारिश की है. मुझे खुशी है कि सभी धर्मों के लोगों ने एक जैसी बात कही. जया जेटली ने बताया कि उनकी टीम ने अपनी रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री कार्यालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और नीति आयोग को सौंप दी थी.