नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 22 लाख किसानों को फायदा पहुंचाने वाली एक योजना को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है. इस योजना का नाम प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) है. इसे वर्ष 2021 से पांच वर्ष विस्तारित कर वर्ष 2026 तक करने के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को मंजूरी दे दी.
इस पर कुल 93,068 करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान है. इसमें रेणुकाजी बांध परियोजना (हिमाचल प्रदेश) और लखवार बहुउद्देश्यीय परियोजना (उत्तराखंड) नामक दो राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए 90 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण का प्रावधान किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में यह निर्णय लिया गया.
सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को 2021-22 से 2025-26 तक जारी रखने को मंजूरी दी है, जिससे करीब 22 लाख किसानों को फायदा होगा. इसमें 2.5 लाख अनुसूचित जाति और 2 लाख अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान शामिल हैं.
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सरकारी बयान के अनुसार, इस पर कुल लागत 93,068 करोड़ रुपये आने का अनुमान है. इसमें राज्यों के लिए 37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल है. सीसीईए ने राज्यों के लिए 37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता तथा पीएमकेएसवाई 2016-21 के दौरान सिंचाई विकास के लिए भारत सरकार द्वारा लिये गये ऋण को चुकाने के वास्ते 20,434.56 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं.
शेखावत ने बताया कि दोनों परियोजनाएं, रेणुकाजी बांध परियोजना और लखवार बहुउद्देश्यीय परियोजना, यमुना बेसिन में भंडारण की शुरुआत करेंगी, जिससे यमुना बेसिन के ऊपरी हिस्से के छह राज्यों को फायदा पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि इससे दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को जलापूर्ति होगी तथा जल प्रवाह बनाये रखने में मदद मिलेगी तथा यमुना को नया जीवन मिलेगा.
बयान के अनुसार, त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीबी), हर खेत को पानी (एचकेकेपी) और भूमि, जल व अन्य विकास घटकों को 2021-26 में जारी रखने को भी मंजूरी दी गयी. इसमें कहा गया है कि इसमें 30.23 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र विकास सहित 60 जारी परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान देने के अलावा अतिरिक्त परियोजनाओं को भी शुरू किया जा सकता है.
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इसमें जनजातीय इलाकों और सूखे का सामना करने वाले इलाकों की परियोजनाओं को शामिल करने के मानदंडों में ढील दी गयी है. बयान के अनुसार, हर खेत को पानी खंड के तहत सतही जल स्रोतों के माध्यम से जल स्रोतों के पुनर्जीवन के तहत 4.5 लाख हेक्टेयर सिंचाई तथा उपयुक्त ब्लॉक में भूजल सिंचाई के तहत 1.5 लाख हेक्टेयर की सिंचाई हो सकेगी.
जल स्रोतों के उद्धार के महत्व के मद्देनजर, मंत्रिमंडल ने शहरी और ग्रामीण इलाकों में जल स्रोतों को दोबारा जीवित करने के लिए वित्तपोषण को मंजूरी दी है. इस योजना में उन्हें शामिल करने के मानदंडों का विस्तार किया गया है तथा केंद्रीय सहायता को आम क्षेत्रों के हवाले से 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत किया गया है. हर खेत को पानी के भूजल घटक को भी 2021-22 के लिए अस्थायी रूप से मंजूर किया गया.
इसका लक्ष्य 1.52 लाख हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई क्षमता विकसित करना है. वाटरशेड विकास घटक के तहत वर्षा जल द्वारा सिंचित इलाकों का विकास करने पर जोर दिया गया है. इसके लिए मिट्टी और जल संरक्षण, भूजल की भरपाई, मिट्टी बहने को रोकना तथा जल संरक्षण व प्रबंधन संबंधी विस्तार गतिविधियों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है.
भूमि संसाधन विकास के स्वीकृत वाटरशेड विकास घटक में 2021-26 के दौरान संरक्षित सिंचाई के तहत, अतिरिक्त 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल करने के लिए 49.5 लाख हेक्टेयर वर्षा सिंचित/अनुपजाऊ भूमि को कवर करने वाली स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करने की परिकल्पना की गयी है.
गौरतलब है कि पीएमकेएसवाई को 2015 में शुरू किया गया था और यह एक प्रमुख योजना है. पीएमकेएसवाई का दूसरा घटक, यानी प्रति बूंद अधिक फसल को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग क्रियान्वित कर रहा है.
Posted By: Mithilesh Jha