23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Kharmas 2021 : आज से शुरू हो रहा है खरमास, जानें कब समाप्त होगा

Kharmas 2021 : 14 दिसंबर से खरमास शुरू हो रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष माह और पौष माह के बीच में खरमास लगता है. इस दौरान बड़े व महत्वपूर्ण शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार, जब खरमास या मलमास लगता है तो उस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, खरमास के दौरान सूर्य की चाल धीमी पड़ जाती है इसलिए इस दौरान किया गया कोई भी कार्य शुभ फल प्रदान नहीं करता है. यही वजह है कि बड़े शुभ कार्य इनदिनों में स्थगित कर दिए जाते हैं. जानें खरमास कब समाप्त होगा.

खरमास 14 दिसंबर से

खरमास 14 दिसंबर 2021 दिन गुरुवार से शुरू हो रहा है जो 14 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार तक रहेगा.

खरमास में नहीं होते हैं किए जाते बड़े शुभ कार्य

खरमास में शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन समेत बड़े शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इस समय नया घर या वाहन आदि खरीदना भी शुभ नहीं माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं खरमास क्यों लगता है. इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है. आगे पढ़ें पूरी डिटेल.

खरमास में इस वजह से नहीं होते शुभ कार्य

गुरु बृहस्पति की राशि धनु है. मान्यता के अनुसार सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि में भ्रमण करते हैं तो मनुष्य के लिए यह समय अच्छा नहीं माना जाता है. इसलिए खरमास में समस्त बड़े मांगलिक कार्य को करने की मनाही होती है. खरमास खत्म होने के बाद ही शुभ कार्य शुरू होते हैं. खरमास 14 दिसंबर 2021 दिन गुरुवार से शुरू हो रहा है जो 14 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार तक रहेगा.

खरमास लगने की पौराणिक कथा पढ़ें

पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि भगवान भास्कर यानी सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं. सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन एक बार भ्रमण के क्रम में जब रथ खींच रहे घोड़े लगातार चलने के कारण थक गए तो घोड़ों की ये हालत सूर्यदेव से देखी नहीं गई. सूर्यदेव का हृदय द्रवित हो गया और वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें इस बात का भी एहसास हो गया कि यदि रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा. पूरी कथा आगे पढ़ें.

Also Read: Mokshda Ekadashi 2021 : आज है मोक्षदा एकादशी, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पारण का समय

तालाब के पास ही दो खर मौजूद थे. सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम के लिए वहीं तालाब के पास छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में चलाने के लिए लगा दिया. गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी रथ रूका तो नहीं लेकिन इस दौरान रथ की गति धीमी हो गई. गधों के सहारे जैसे-तैसे सूर्यदेव इस एक मास का चक्र पूरा कर पाए. घोड़ों के विश्राम करने के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी गति में लौट आया. इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है. इसीलिए हर साल करीब एक महीने खरमास लगता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें