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पंजाब, हरियाणा में घर वापसी पर किसानों का जोरदार स्वागत, चन्नी सरकार ने 11 लोगों को दी नौकरी

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्ली-हरियाणा सीमा को खाली कर दिया है. पंजाब सरकार ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 11 किसानों के परिजनों को क्लर्क की नौकरी दी. पढ़ें पूरी खबर

चंडीगढ़: कृषि कानूनों को वापस लिये जाने और केंद्र सरकार के साथ संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की सहमति बनने के बाद आंदोलन समाप्त कर किसान अपने-अपने घरों को लौट गये. कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में ‘जीत’ के बाद लौटते वक्त पंजाब और हरियाणा के किसानों का कई जगहों पर मिठाइयां खिलाकर और फूलों की माला पहनाकर गर्मजोशी से स्वागत किया गया. वहीं पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान मारे गये 11 किसानों के निकट परजिनों को शनिवार को सरकारी नौकरी दी.

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने दिल्ली में किसान आंदोलन में मारे गये 11 किसानों के निकट परिजनों को क्लर्क की नौकरी दी है. मुख्यमंत्री ने कार्यालय की ओर से बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने 11 शहीद किसानों के परिजनों को नियुक्ति पत्र दिया. उधर, दिल्ली-करनाल-अंबाला और दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ ही अन्य राज्य के राजमार्गों पर कई स्थानों पर गांववासियों के साथ ही किसानों के परिवारों ने ट्रैक्टरों में आ रहे किसानों को माला पहनाकर, लड्डू-बर्फी और अन्य मिठाइयां खिलाकर उनका स्वागत किया.

किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले गांववासी और अन्य लोग उनका स्वागत करने के लिए राजमार्गों के किनारे एकत्रित हो गये और उन्होंने किसानों पर फूल बरसाये. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल का वापस लौटने पर शम्भु बॉर्डर पर जोरदार स्वागत किया गया और उन्होंने किसानों को उनकी ‘जीत’ के लिए बधाई दी.

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उन्होंने शम्भू बॉर्डर पर संवाददाताओं से कहा, ‘मैं सभी पंजाबियों और देशवासियों को बधाई देता हूं. एक बड़ी जंग जीत में जीत हुई है. उन लोगों का भी शुक्रिया, जिन्होंने आंदोलन का समर्थन किया. हमने ‘मोर्चा’ मार लिया है और केंद्र सरकार को झुकने के लिए मजबूर होना पड़ा.’ राजेवाल ने यह भी कहा कि वह केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई में किसानों के ‘बलिदानों’ को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं.

उन्होंने कहा कि 700 से अधिक किसानों ने जान गंवा दी. दिल्ली-हरियाणा सीमा पर सिंघू बॉर्डर के समीप किसानों का स्वागत करने के लिए चंडीगढ़ से एक परिवार पहुंचा था. किसानों के आंदोलन का समर्थन करने वाले चंडीगढ़ के एक निवासी ने कहा, ‘हम बहुत खुश हैं और हमारी खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती. यह जीत किसानों की ‘तपस्या’ का परिणाम है, जिन्होंने कठोर मौसम समेत सभी तरह की परेशानियों का सामना किया.’

भांगड़ा करते हुए लौटे किसान

ट्रैक्टर ट्रॉलियों और अन्य वाहनों के हुजूम की वजह से दिल्ली-अंबाला और दिल्ली-रोहतक राष्ट्रीय राजमार्गों पर कई स्थानों पर वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गयी. खुश दिख रहे किसानों खासतौर से युवाओं और महिलाओं ने पंजाब और हरियाणा में अपने घर लौटते हुए ‘ढोल’ की धुनों पर ‘भांगड़ा’ किया. पंजाब के समीप खनौरी में गांववासी आंदोलनकारियों का स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में एकत्रित हो गये और उन्होंने पटाखे भी जलाये.

लुधियाना में बोला किसान- हम विजयी होकर लौट रहे हैं

लुधियाना के एक किसान ने कहा, ‘हम विजयी होकर लौट रहे हैं.’ राष्ट्रीय राजमार्गों पर विभिन्न टोल प्लाजा और अन्य स्थानों पर किसानों के स्वागत के लिए तैयारियां की गयीं. सिंघू बॉर्डर पर ‘अरदास’ करने के बाद सुबह ट्रैक्टर का बड़ा काफिला पंजाब और हरियाणा लौटना शुरू हो गया. किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल तक चले आंदोलन के समाप्त होने के बाद घर लौट रहे हैं.

केंद्र ने इन कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है. फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजे और राष्ट्रध्वज तथा किसान संघों के ध्वज लहराते हुए चल रहे ट्रैक्टरों में पंजाबी विजयी और देशभक्ति गीत बज रहे थे. साथ ही उनमें सवार लोग ‘बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के उद्घोष कर रहे थे. ट्रैक्टर ट्रॉली में खाट, गद्दे, बर्तन और अन्य सामान लदे हुए थे, जो किसान आंदोलन के दौरान अपने साथ लेकर आये थे.

पंजाब-हरियाणा भाईचारा जिंदाबाद के लगे नारे

पंजाब और हरियाणा के किसानों ने एक-दूसरे को गले भी लगाया और ‘पंजाब और हरियाणा भाईचारा जिंदाबाद’ के नारे लगाये. किसानों ने कहा कि प्रदर्शनों के कारण दोनों राज्यों के किसानों के बीच भाईचारा तथा जुड़ाव और मजबूत हो गया है. पंजाब के कई किसानों ने आंदोलन के दौरान उनका समर्थन करने के लिए हरियाणा के लोगों का आभार जताया. महिलाओं समेत कुछ किसान शम्भू बॉर्डर पर ‘भांगड़ा’ कर रहे थे.

करनाल में किसानों के लिए लगा था ‘लंगर’

करनाल में बस्तारा टोल प्लाजा के समीप तथा अंबाला के समीप शम्भू बॉर्डर पर घर लौट रहे किसानों के लिए ‘लंगर’ की व्यवस्था की गयी. राष्ट्रीय राजमार्ग पर शम्भू अंतरराज्यीय सीमा वह स्थान है, जहां हरियाणा पुलिस ने पिछले साल 26 नवंबर को किसानों को राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ने से रोकने के लिए उन पर पानी की बौछारें की थीं और आंसू गैस के गोले दागे थे.

ट्रक-ट्रैक्टर ट्रॉली में टक्कर, दो किसानों की मौत

इस बीच, हरियाणा के हिसार जिले में एक ट्रक और ट्रैक्टर ट्रॉली के बीच टक्कर में ट्रॉली में सवार कम से कम दो किसानों की शनिवार को मौत हो गयी. किसान आंदोलन की समाप्ति की घोषणा के बाद दिल्ली की टीकरी सीमा से ये लोग वापस अपने घर लौट रहे थे. पुलिस ने बताया कि इस हादसे में एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया. उन्होंने बताया कि यह घटना हिसार जिले के धंदूर गांव में हुई.

29 नवंबर को कानूनों को संसद ने किया निरस्त

संसद में 29 नवंबर को इन कानूनों को निरस्त करने तथा बाद में एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए एक पैनल गठित करने सहित सरकार द्वारा विभिन्न मांगें मान लिये जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को विरोध- प्रदर्शन स्थगित करने की घोषणा की थी.

Posted By: Mithilesh Jha

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