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अधूरी रह गई जनरल रावत की ये इच्छा, चाचा ने बताया अक्सर कहा करते थे ये बात

जनरल बिपिन रावत के रिश्तेदार भरत सिंह रावत ने बताया कि जनरल रावत की एक इच्छा थी कि सेवानिवृति के बाद वो अपने गांव में आकर रहे. उन्होंने कहा कि उनके असमय निधन से ये इच्छा अधूरी रह गई.

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर हादसे में जान गंवाने के बाद पूरे देश में शोक है. विदेशों से भी शोक संदेश आ रहे हैं. CDS बिपिन रावत के निधन से उनके पैतृक गांव पौड़ी गढ़वाल के भमोरीखाल में भी लोग बहुत दुखी हैं. उनके रिश्तेदार भरत सिंह रावत ने बताया कि जनरल रावत की एक इच्छा थी कि सेवानिवृति के बाद वो अपने गांव में आकर रहे. उन्होंने कहा कि उनके असमय निधन से ये इच्छा अधूरी रह गई.

भरत सिंह रावत ने कहा कि जनरल रावत को अपने गांव से बहुत लगाव था. उन्होंने कहा कि जनरल रावत अक्सर गांव आकर घर बनाने की बात करते थे. भरत सिंह रावत ने कहा कि उनके असमय निधन से पूरे गांव में मातम का माहौल है. भरत सिंह रावत ने ये भी कहा कि जनरल रावत अंतिम बार अपने गांव साल 2018 में आए थे. इधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उनकी मृत्यु से उत्तराखंड समेत पूरे भारत को अपूर्ण क्षति हुई है. वो बहुत सरल और सहज थे.

गौरतलब है कि जनरल बिपिन रावत को 31 दिसंबर, 2019 को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को लाल किले से अपने भाषण में इस नये पद का एलान किया था. भारतीय सेना के विभिन्न अंगों में तालमेल और सैन्य आधुनिकीकरण जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभाने के लिए यह पद सृजित किया गया. पहली जिम्मेदारी दी गयी कुशल योद्धा और बेहतरीन सैन्य रणनीतिकार जनरल रावत को. सीडीएस बनने से पहले वह भारतीय सेना के प्रमुख रहे.

31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक उन्होंने थल सेनाध्यक्ष का पद संभाला. 42 वर्षों के सैन्य करियर में प्रदर्शित विशिष्ट सेवा और वीरता के लिए, जनरल रावत को कई राष्ट्रपति पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. इनमें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल शामिल हैं. दो मौकों पर थलसेनाध्यक्ष प्रशस्ति और सेना कमांडर प्रशस्ति से भी सम्मानित किया गया.

Posted by: Pritish Sahay

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