Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को यूपी सरकार से सवाल किया कि, वह अपने बनाए गए कानूनों को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड क्यों नहीं करती. कोर्ट ने कहा कि सरकार ने अभी तक कई कानून बनाए हैं और कई कानूनों में संशोधन भी किया है, लेकिन निजी प्रकाशकों द्वारा उसका प्रकाशन नहीं किया जाता. कोर्ट ने यह सवाल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा.
कोर्ट ने कहा कि, इससे न्यायिक व्यवस्था से जुड़े लोगों को तमाम तरह की समस्याएं आती हैं. इससे कोर्ट को भी केसों की सुनवाई के दौरान सही जानकारी नहीं मिल पाती है. साथ ही कई बार अलग-अलग समस्यायों का भी सामना करना पड़ता है.
जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने कहा कि सरकार का यह दायित्व है कि वह अपने कानून को सरकारी वेबसाइट पर प्रकाशित करे. जिससे आम जनमानस और कानून से जुड़े लोगों को कानून की सही जानकारी हो सके.
सरकार की ओर से हलफनामा देते हुए कोर्ट को बताया गया था कि सरकार द्वारा अपने निर्मित कानूनों को वह अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड करती है. साथ ही संशोधित कानून को भी अपडेट किया जाता है. जिसपर कोर्ट ने अपने स्टाफ से जानकारी मांगते हुए कहा कि, देखें सरकार की किस वेबसाइट पर कानून संबंधी जानकारी, एक्ट और रूल्स अपलोड किया गया है.
कोर्ट के निर्देश पर जब स्टाफ ने चेक किया तो सरकार द्वारा निर्मित और संशोधित कानून की जानकारी उसे किसी वेबसाइट पर नहीं मिली. इसके बाद कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को सही जानकारी और स्थित को स्पष्ट करने का निर्देश देते हुए अगली तारीख 16 दिसंबर नियत कर दी.
रिपोर्ट- एस के इलाहाबादी