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झारखंड के आयुष्मान योजना में गड़बड़झाला, एक ही पंजीयन नंबर का उपयोग हो रहा दो मरीजों के लिए, जानें पूरा मामला

झारखंड के बोकारो में आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ी का सामने आया है. जहां एक रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग दो मरीजों के लिए किया गया. जिस वजह से सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को निजी अस्पाताल में रेफर कर दिया गया.

बोकारो : बोकारो सदर अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजों का इलाज वहां न करके निजी अस्पताल ग्लोबल हॉस्पिटल रेफर किया गया. इलाज के बाद जब आयुष्मान में बीमा राशि का दावा किया गया, तो डॉक्टर ने कहा कि उनके फर्जी हस्ताक्षर का उपयोग हुआ है. सदर अस्पताल में पंजीयन पर्ची पर एक ही पंजीयन नंबर का उपयोग दो मरीजों के लिए किया गया, जिनके इलाज में एक माह का अंतर है. डॉ अनामिका सिन्हा ने उपाधीक्षक से इसकी शिकायत की है.

उन्होंने चार मरीजों का पूरा ब्योरा दिया है. इसमें उन्होंने कहा है कि रेफर करने के साथ आयुष्मान से बीमा राशि का दावा करना गलत होगा, क्योंकि उनके हस्ताक्षर को गलत तरीके प्रस्तुत किया गया है और फर्जी है. सिविल सर्जन ने मामले की जांच का आदेश दिया है.

मंजू देवी पंजीयन संख्या-99 अपना इलाज कराने 19 अगस्त को सदर अस्पताल बोकारो गयी थी. चिकित्सीय परामर्श के बाद मरीज को निजी अस्पताल रेफर किया गया. पर्ची में डॉ अनामिका सिन्हा का हस्ताक्षर है. मरीज के परिजन ने बताया कि उनको सदर अस्पताल से ही निजी अस्पताल रेफर किया गया.

आशा देवी-पति अश्विन दास पंजीयन संख्या 99 एक सितंबर को इलाज कराने बोकारो अस्पताल गयी थी. मरीज को बच्चेदानी की सर्जरी की आवश्यकता दिखाते हुए ग्लोबल हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया. पंजीयन पर्ची पर डॉ अनामिका का ही हस्ताक्षर है. परिजन ने कहा कि निजी अस्पताल रेफर किया गया था.

फूलमनी देवी पंजीयन संख्या 119 पति मनोवार तिवारी 31 अगस्त को इलाज कराने सदर अस्पताल बोकारो गयी थी. मरीज को अस्पताल से ग्लोबल अस्पताल रेफर किया गया था. महिला का इलाज किया गया, लेकिन अस्पताल में दर्ज नंबर पर जब परिजनों से बात की गयी, तो उन्होंने बताया कि उनके किसी भी मरीज का इलाज हुआ ही नहीं है.

डॉ अनामिका सिन्हा ने आवदेन दिया है कि उनके हस्ताक्षर का गलत उपयोग कर निजी अस्पताल में रेफर किया गया है. उनके आवेदन पर उपाधीक्षक को जांच का आदेश दिया गया है.

डॉ जीतेंद्र कुमार, सिविल सर्जन बोकारो

अगर महिला डॉक्टर के हस्ताक्षर का गलत उपयोग किया गया है, तो उनको तत्काल प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए थी. यह जांच का विषय है कि हस्ताक्षर गलत है या जानबूझकर मरीज को निजी अस्पताल भेजा गया.

डॉ भुवनेश प्रताप सिंह, प्रभारी आयुष्मान योजना

Posted by : Sameer Oraon

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