कोलकाता (नम्रता पांडेय): भले ही जवाद चक्रवात की तीव्रता कम हो गयी हो. ओड़िशा और आंध्रप्रदेश के लिए भले राहत की खबर हो, लेकिन बंगाल का सुंदरवन लगातार आ रहे चक्रवातों की वजह से खतरे में है. मौसम वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि बंगाल की खाड़ी में जिस तरह से चक्रवाती तूफानों के उठने का सिलसिला जारी है, वह दिन दूर नहीं, जब सुंदरवन (Sundarban) के लोगों को क्लाइमेट रिफ्यूजी (Climate Refugee) बनना होगा.
अलीपुर मौसम विभाग (Weather Department) ने चक्रवात जवाद को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया है. मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि तटवर्ती क्षेत्रों में इसका व्यापक असर देखने को मिलेगा. जलवायु विज्ञानी व हरिनघाटा कॉलेज में प्रोफेसर डॉ नैरविता बंद्योपाध्याय ने कहा कि जवाद चक्रवात (Jawad Cyclone) की वजह से पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में आंधी-तूफान के साथ मूसलाधार बारिश की संभावना है.
उन्होंने कहा कि मैंग्रोव की कटाई व चक्रवातों में उनके नष्ट हो जाने के कारण सुंदरवन को बचाने के लिए कोई ढाल नहीं बचा है. ऐसे में एक साल में आ रहे सात-आठ चक्रवात कुछ ही सालों में सुंदरवन के अस्तित्व को मिटा देंगे. यहां के लोगों को ‘क्लाइमेट रीफ्यूजी’ बनना पड़ेगा.उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण जब एक क्षेत्र लोगों के रहने लायक नहीं होता और वहां से उन्हें पलायन करना पड़ता है, तो ऐसे लोगों को क्लाइमेट रीफ्यूजी कहा जाता है.
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पर्यावरणविदों का कहना है कि समुद्र की सतह का तापमान बढ़ने व निम्न दाब बनने की वजह से बार-बार साइक्लोन आ रहे हैं. उनका यह भी मानना है कि इसकी एक वजह हिमालय के बर्फ पिघलने से सागर का जलस्तर बढ़ना भी है. उनके अनुसार, यदि सरकार ने सुंदरवन को बचाने के लिए जल्दी कोई कदम नहीं उठाया, तो वर्ष 2050 तक सुंदरवन के साथ कोलकाता के भी कई क्षेत्र पानी में समा जायेंगे.
फसलों को पहुंचेगा भारी नुकसान: पर्यावरणविद सोमेंद्र मोहन
अभी बंगाल की खाड़ी का तापमान 28 से 30 डिग्री है. तापमान अधिक होने से सागर पर निम्न दाब बनने से चक्रवात बार-बार आ रहे हैं. सुंदरवन में मैंग्रोव ढाल की तरह काम करते थे, लेकिन अभी देखा जा रहा कि मैंग्रोव काफी कम हो गये हैं.
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यही वजह है कि जब भी साइक्लोन आते हैं, तो जल स्तर बढ़ जाता है. कृषि क्षेत्रों व गांवों में पानी घुस जाता है. इसका असर सर्दी के मौसम में होने वाली खेती पर पड़ेगा. खारे पानी की वजह से फसलों को काफी नुकसान पहुंचेगा. पर्यावरणविदों का अनुमान है कि अगर जल्द ही सरकार इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकालेगी, तो वर्ष 2050 तक दक्षिण 24 परगना ही नहीं, कलकत्ता के भी कुछ इलाके सागर में समा जायेंगे.
नैरविता बंद्योपाध्याय की मानें, तो पिछले चक्रवात ‘यास’ के बाद कहा गया था कि सुंदरवन में मैंग्रोव की सैपलिंग को रोका गया है, ताकि आने वाले चक्रवातों में ये ढाल बनकर यहां के जीव-जंतुओं की रक्षा कर सके. लेकिन, एक माह के भीतर फिर से ‘जवाद’ चक्रवात आ रहा है. इस दौरान हवाओं की रफ्तार 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे होगी. 60 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चलेंगी. बारिश भी होगी. ऐसे में पौधे उसमें ठहर नहीं पायेंगे.
नैरविता बंद्योपाध्याय कहती हैं कि अभी जलवायु परिवर्तन से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है. इससे कोस्टल क्षेत्र में खारा पानी खेतों व गांवों में घुस रहा है. जंगलों की कटाई व प्राकृतिक आपदा में मैंग्रोव के नष्ट हो जाने के बाद वहां के लोगों के बचाव के लिए कोई ढाल नहीं बचेगा. सुंदरवन का पारिस्थितिकी तंत्र पहले से ही बिगड़ चुका है. ऐसे में यदि जलस्तर बढ़ा, तो वहां के भू-जल भी प्रभावित होगा. लोगों को पीने को पानी तक नहीं मिलेगा. लोगों को पलायन करना पड़ेगा.
Posted By: Mithilesh Jha