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गुमला के कुरूमगढ़ थाना से सटे 50 गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं, पुलिस-सीआरपीएफ व ग्रामीण हो रहे परेशान

चैनपुर प्रखंड में कुरूमगढ़ थाना है, जो गुमला व घाघरा प्रखंड के सीमावर्ती इलाके में है. परंतु, कुरूमगढ़ थाना से सटे करीब 50 गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं है.

गुमला : चैनपुर प्रखंड में कुरूमगढ़ थाना है, जो गुमला व घाघरा प्रखंड के सीमावर्ती इलाके में है. परंतु, कुरूमगढ़ थाना से सटे करीब 50 गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं है. जिससे पुलिस, सीआरपीएफ व 20 हजार आबादी प्रभावित है. नेटवर्क के कारण इस क्षेत्र में किसी प्रकार का सूचना आदान-प्रदान नहीं हो पाता है. यही वजह है, यह क्षेत्र अभी भी भाकपा माओवादी का सेफ जोन बना हुआ है.

नेटवर्क नहीं रहने से कुरूमगढ़ थाना का संपर्क जिला मुख्यालय व दूसरे थाना से कटा रहता है. अगर नक्सली हमला करे तो वरीय पुलिस अधिकारियों तक सूचना पहुंचाने में देरी होती है. यहीं वजह है कि 26 नवंबर को नक्सलियों ने कुरूमगढ़ के नये थाना भवन को बम विस्फोट कर उड़ा दिया. मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने के कारण रात को कुरूमगढ़ थाना को किसी प्रकार की मदद नहीं मिली.

12 घंटे बाद गुमला से अतिरिक्त फोर्स कुरूमगढ़ थाना पहुंचा था. अधिक परेशानी जनता को हो रही है. करीब 20 किमी की रेंज में कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं है. पहाड़ पर चढ़ कर नेटवर्क खोजना पड़ता है. एक-दो टावर मोबाइल में दिख गया तो उससे किसी प्रकार बात करते हैं. अभी भी छात्रों की ऑनलाइन कक्षा चल रही है.

कुरूमगढ़ से सटे सभी 50 गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने के कारण छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई बंद है. वहीं मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने का फायदा नक्सली उठाते रहते हैं. कुरूमगढ़ से सटे कुछ गांवों में नक्सली सेफ जोन बना कर रह रहे हैं. कुरूमगढ़ के अलावा कुछ दूरी पर कोरकोटोली व बामदा पुलिस पिकेट भी है. वहां भी मोबाइल टावर नहीं रहने से जवानों को परेशानी होती है.

ऊंचाई पर एक-दो टावर मिलता है, तो बात होती है :

थाना से तीन किमी दूरी पर तिगावल खंभनटोली है, जो ऊंची जगह है. अगर किसी को कोई बात करनी रहती है तो दिन के उजाले में लोग यहां आते हैं. मोबाइल टावर खोज कर रिश्तेदारों व दोस्तों से बात करते हैं. नक्सल इलाका होने के कारण रात को इस स्थान पर लोग नहीं आते.

द्वारसेनी के पास भी कभी कभार नेटवर्क पकड़ता है. परंतु द्वारसेनी भी खतरनाक जोन है. क्योंकि यहां 20 साल पहले आइइडी ब्लास्ट कर आठ पुलिसकर्मियों को उड़ा दिया गया था. हालांकि, ग्रामीणों की माने तो इस क्षेत्र में एक मोबाइल कंपनी द्वारा तार बिछाने का काम किया जा रहा है. परंतु अभी कंपनी ने भी काम बंद करके रखा है.

ग्रामीणों ने कहा :

मोबाइल टावर की स्थापना हो : ग्रामीण विष्णु लोहरा व विश्वनाथ उरांव ने कहा कि मोबाइल का टावर इस क्षेत्र में नहीं लगा है. इस कारण परेशानी होती है. अगर मोबाइल टावर लग जाये तो कई काम आसान हो जायेगा. क्यों टावर नहीं लग रहा है. इसकी जानकारी कोई नहीं देते हैं. प्रशासन व सरकार से अपील है. इस क्षेत्र में कम से कम पांच मोबाइल टावर स्थापित करे. ताकि 20 किमी की रेंज को मोबाइल टावर कवर कर सके और लोगों को परेशानी न हो.

पुलिस जवान :

महीनों तक परिवार से नहीं होती बात :कुरूमगढ़ थाना में कार्यरत अधिकारी व पुलिस जवान महीनों तक परिवार व अपने दोस्तों से बात नहीं कर पाते. अगर कभी गुमला या फिर मोबाइल नेटवर्क के रेंज में आते हैं. तब फोन से बात करते हैं. जवानों ने कहा कि मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने के कारण काम करने में काफी परेशानी होती है. यह पूरा इलाका जंगली है. पहाड़ों से घिरा है. दिनभर नक्सल के खिलाफ अभियान चलाते हैं. मन की शांति के लिए परिवार से बात करना चाहते हैं. परंतु नेटवर्क बाधा बनी हुई है.

गांव, जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं लगता है :

कुरूमगढ़, मनातू, जिरमी, दरकाना, ओरामार, हर्रा, चांदगो, हेठजोरी, पीपी बामदा, कुटवां, सरगांव, लुरू, उरू, बारडीह, सेकराहातू, सिविल, रोरेद, मड़वा, कोचागानी, रोघाडीह, कोरकोटोली, केरागानी, कुइयो, केवना, कोलदा, ऊपर डुमरी, कुकरूंजा, तबेला, घुसरी, सकरा, कोटाम बहेराटोली, पीपी, ठाकुरझरिया, हरिनाखाड़, अंबाटोली, महुआटोली, देवीटोंगरी, कुसुमटोली, बरईकोना, हेंठटोला, ऊपरटोला, बरटोंगरी, असुर टोला व बरटोली सहित 50 गांव है.

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