16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

महामारी से अब भी सतर्कता जरूरी

सवाल केवल नये वैरिएंट से बचाव का नहीं है, बल्कि हमें मौजूदा वायरस को भी फैलने से रोकना है. लापरवाहियों का खामियाजा हम भुगत चुके हैं.

कोरोना वायरस के तमाम वैरिएंट को देखें, तो डेल्टा वायरस के बाद ओमिक्रॉन वह वायरस है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘चिंताजनक’ बताया है. जो शुरुआती कोरोना वायरस था, उसे अल्फा कहा जाता है. जब भी कोई नया वैरिएंट आता है, तो सबसे पहले यह देखा जाता है कि वह अल्फा की तुलना में कितना अधिक या कम खतरनाक है. अब तक की जानकारी के अनुसार, ओमिक्रॉन वायरस अल्फा और डेल्टा की तुलना में तेजी से संक्रमित कर रहा है.

दूसरी चीज यह देखी जाती है कि टीका ले चुके लोगों पर इसका कितना असर होता है. कुछ ऐसे भी मामले सामने आये हैं, जिनमें टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों को भी ओमिक्रॉन संक्रमित कर रहा है. इतना ही नहीं, बूस्टर डोज ले चुके लोग भी इसकी चपेट में आये हैं. तीसरी बात जो देखी जानी है, वह है कि क्या इसका संक्रमण अधिक गंभीर होता है और क्या यह जानलेवा हो सकता है. इन सभी पहलुओं पर दुनिया के अनेक देशों में अनुसंधान हो रहे हैं.

इस साल, जनवरी में जब डेल्टा वैरिएंट की जानकारी मिली थी, तब हमारे देश में सभी संक्रमितों में इस वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या एक प्रतिशत के आसपास थी. यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ते हुए जुलाई में 99 प्रतिशत और अगस्त में 100 प्रतिशत तक आ गया. आज भी लगभग सभी संक्रमण डेल्टा वैरिएंट से ही हो रहे हैं. अगर डेल्टा का असर इतना व्यापक हो सकता है और उसका विस्तार 100 से अधिक देशों में हो सकता है,

तो हमें इस आशंका को सामने रखना चाहिए कि अगर रोकथाम के समुचित उपाय नहीं हुए, तो ओमिक्रॉन का संक्रमण भी वैश्विक समस्या बन सकता है. अफ्रीका के दक्षिणी हिस्से से निकला यह वैरिएंट आज आधा दर्जन से अधिक देशों में पाया जा चुका है. भारत में जो यात्री दक्षिण अफ्रीका से आये हैं, उनके संक्रमण की जांच हो रही है. ऑस्ट्रेलिया में 24 घंटे के भीतर इस वायरस की पहचान कर ली गयी, लेकिन हमारे देश में अभी कुछ दिन लग सकते हैं.

यदि हम महामारी की वर्तमान स्थिति को देखें, तो भारत में स्थिति संतोषजनक है. इसकी दूसरी लहर लगभग समाप्त हो चुकी है और तीसरी लहर की भी कोई संभावना नहीं दिखती है. टीकाकरण की गति भी कुल मिला कर ठीक रही है, पर उसे तेज करने की जरूरत है. अभी हम कोई नया जोखिम नहीं ले सकते हैं.

कोई नया वैरिएंट भारत को संक्रमित न करे, इसके लिए कुछ सुझाव प्रस्तावित हैं. अभी तक बहुत सारी हवाई उड़ानें शुरू नहीं हो सकी हैं. जब तक ओमिक्रॉन के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल जाती, तब तक अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रोका जाना चाहिए. दिसंबर में बहुत सी उड़ानें शुरू होनेवाली हैं. उसे टाला जा सकता है. वैसे भी बहुत से देश उड़ानों पर रोक लगाने लगे हैं. जो यात्री बाहर से आ रहे हैं, उनकी जांच ठीक से होनी चाहिए.

दूसरी बात यह है कि अभी टीकाकरण अभियान की गति कुछ ढीली है. इसे ठीक करना होगा. लोगों को टीका लेने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए और जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ सामुदायिक नेताओं और स्थानीय संस्थाओं की मदद लेनी चाहिए. टीके की दोनों खुराक के बीच 84 दिनों का अंतराल निर्धारित किया गया है, जो बहुत अधिक है. इसे कम किया जाना चाहिए. आबादी के 12 से 17 वर्ष आयु वर्ग के लिए वैक्सीन की अनुमति मिली है. उसकी आपूर्ति में देरी करने की कोई वजह नहीं है. इसके अलावा कुछ वैक्सीन परीक्षण की अवस्था में हैं. उसमें भी तेजी लानी चाहिए. ऐसा करने से किशोर सुरक्षित हो जायेंगे.

यह भी उल्लेखनीय है कि जो वैक्सीन अभी दी जा रही हैं, उनके आपात उपयोग की अनुमति के लगभग 11 माह हो चुके हैं. इस अवधि में 120 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है. इस अनुभव के आधार पर उन्हें सामान्य उपयोग की मंजूरी देने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए. भारत को अफ्रीकी देशों को टीका मुहैया कराने की दिशा में प्रयास करना चाहिए.

संक्रमण में कमी के साथ ही कोविड से संबंधित निर्देशों के पालन में व्यापक रूप से लापरवाही बरती जा रही है. ऐसी लापरवाहियों का खामियाजा हम भुगत चुके हैं. शायद ही कोई ऐसा भारतीय होगा, जिसका कोई परिजन या परिचित संक्रमण की चपेट में नहीं आया है. इसके बावजूद अगर हम सावधान नहीं हैं और हमें मास्क लगाने में भी परेशानी हो रही है, तो कतई उचित नहीं है.

राजनीतिक, सामाजिक और चिकित्सा से जुड़े लोग किसी भी तरह की भ्रामक बयानबाजी न करें. अगर लोग मास्क लगाएं, तो हम किसी भी वैरिएंट को खतरनाक बनने से रोक सकते हैं. आम लोगों को वैक्सीन से संबंधित किसी भी तरह के दुष्प्रचार या अफवाह से बचना चाहिए और जल्दी टीके की खुराक लेनी चाहिए.

यह बात हमें अपने दिमाग से निकाल देनी चाहिए कि कोविड महामारी खत्म हो गयी है. सवाल केवल नये वैरिएंट से बचाव का नहीं है, बल्कि हमें मौजूदा वायरस को भी फैलने से रोकना है. मैंने अपनी यात्राओं में खुद अनुभव किया है कि लोगों में निश्चितता बढ़ रही है और कोविड निर्देशों का ठीक से पालन नहीं हो रहा है. यह सब तब हो रहा है, जब हर जगह निर्देशों के बारे में लिखा गया है. यह ठीक रवैया नहीं है. हमें िकसी तरह की अफरा-तफरी से बचते हुए संक्रमण से बचाने के उपाय अपनाने चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें